नई दिल्ली: नोटबंदी के एक साल पूरे हो जाने पर आय कर विभाग यानी (इनकम टैक्स डिपार्टमेंट या IT) ने एक खास रिपोर्ट तैयार की है. 27 पेज की रिपोर्ट में बताया गया है कि नोटबंदी लागू होने के बाद देश भर में लोगों ने किस तरह ब्लैक मनी को छिपाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए.
आयकर विभाग की रिपोर्ट में दी गयी जानकारी
- रिपोर्ट में संदिग्ध नकद जमा का खुलासा किया गया है.
- कारोबारियों ने कैश को खपाने के लिए पुरानी तारीख में टैली सॉफ्टवेयर में एंट्री की.
- किस तरह नोटंबदी के एलान के बाद पुराना कैश जमा करने की अवधि में पेट्रोल पंप मालिकों ने रोजाना की बिक्री को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया.
- इस दौरान फर्जी (शेल) कंपनियों ने काले धन को खपाने के लिए संदिग्ध एंट्री की.
- इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (IT) की जांच में पता लगा है कि ऑपरेशन क्लीन मनी के दौरान ज्वैलर्स और सर्राफा कारोबारियों ने पैन कार्ड रिपोर्टिंग से बचने के लिए खरीद-बिक्री के बिल को छोटी-छोटी रकम में तैयार किया.
- कारोबारियों ने कई लेयर में लेन-देन किया जिससे फायदा उठाने वाले वास्तविक व्यक्ति तक न पहुंचा जा सके.
- कई कारोबारियों ने भविष्य की सेल (फ्यूचर ट्रांजैक्शन) के नाम पर बड़ी मात्रा में पुरानी करेंसी बतौर एडवांस स्वीकार की.
- देश के प्रमुख कोऑपरेटिव बैंक के बड़े अधिकारियों ने बैंक के करेंसी चेस्ट से नई करेंसी का इस्तेमाल अपनी निजी पुरानी करेंसी को बदलने के लिए किया. नई करेंसी उन्हें ग्राहकों की पुरानी करेंसी बदलने के लिए दी गई थी.
- ऑपरेशन क्लीन मनी के पहले चरण की जांच में अधिक नकदी लेनदेन वाले ग्राहकों ने दावा किया है कि उनके खातों में बढ़ा कैश जमा नकद सेल के चलते हुआ.
- नोटबंदी के दौरान बैंकों में जमा हुए अधिक नकदी के मामलों में 57.5 फीसदी मामले कारोबारियों द्वारा कैश बिक्री के रहे. वहीं, महज 20 फीसदी कैश जमा उनकी नोटबंदी के एलान से पहले हुई बिक्री से जमा हुई.
- इस चरण के दौरान इनकम टैक्स विभाग ने 17.92 लाख लोगों की पहचान की है जिन्हें गैरकानूनी नकद लेन-देन में लिप्त पाया गया.
- इन 17.92 लाख लोगों में लगभग 9.72 लाख कर दाताओं ने नोटबंदी के बाद जमा किए गए लगभग 2.89 लाख करोड़ रुपए की सफाई ऑनलाइन माध्यम से दी है. इनके द्वारा चलाये जा रहे लगभग 13.33 लाख बैंक में नकद जमा पर दी गई.
- इनकम टैक्स विभाग की जांच में इन कर दाताओं ने लगभग 41,600 अन्य बैंक खातों की जानकारी मुहैया कराई है जिसमें निर्धारित सीमा से अधिक नकद जमा कराया गया.