– मनपा प्रशासक की ढुलमुल नीति से मनपा को राजस्व तो नागरिकों को स्वास्थ्य सम्बन्धी हो रहा नुकसान
नागपुर – मनपा क्षेत्र अंतर्गत नागपुर शहर में लगभग 900 मोबाइल टावर हैं और उनमें से 100 से अधिक को बिना ‘स्ट्रक्चरल ऑडिट’ के इमारत पर खड़ा किया गया है। पुराने भवनों पर लगे ये टावर न केवल भवन मालिकों के लिए बल्कि क्षेत्र के नागरिकों के लिए भी खतरनाक होने की संभावना है। हालांकि मनपा सभागृह में मोबाइल टावर के संबंध में नीति को मंजूरी दे दी गई है लेकिन नागरिकों की जान जाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि CITY SURVEY विभाग द्वारा उक्त ग़ैरकृत के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठा रही.
मनपा की नगर रचना विभाग शहर में मोबाइल टावरों को मंजूरी देने के लिए जिम्मेदार है। 2 मार्च को हुई मनपा आमसभा की पिछली बैठक में मोबाइल टावरों की अनुमति को लेकर नीति को मंजूरी दी गई थी. उसके बाद 5 मार्च से प्रशासक की नियुक्ति कर दी गई। प्रशासक के कार्यकाल में यह आशा की गई थी कि नागरिकों के हित में निर्णयों का क्रियान्वयन शीघ्र होगा। लेकिन मनपा प्रशासक की ढुलमुल नीति से उक्त मंजूर प्रस्ताव/नीति पर धूल जम गई है.
शहर में भवन/इमारत मालिक पैसों के लालच में इमारतों पर मोबाइल टावर लगा दिए गए हैं. लेकिन इनमें से सैकड़ों इमारतें 30 साल से भी ज्यादा पुरानी हैं। इसमें कुछ दो मंजिला इमारतें भी हैं। एक तरफ जर्जर भवनों के खिलाफ नोटिस जारी कर कार्रवाई की जा रही है। वहीं, मनपा द्वारा मोबाइल टावर लगाने के दौरान ‘स्ट्रक्चरल ऑडिट’ को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है.
मनपा नगर रचना विभागीय सूत्रों की माने तो शहर में 95 % मोबाइल टावर अनाधिकृत हैं। मोबाइल टावरों से निकलने वाले ‘रेडिएशन’ को लेकर भी नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की ‘इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर’ के मुताबिक मोबाइल टावरों से निकलने वाले रे’डिएशन’ से ‘ब्रेन कैंसर’ की आशंका जताई गई है। इसलिए आवासीय क्षेत्रों में मोबाइल टावरों की स्वीकृति के संबंध में तय नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
उल्लेखनीय यह है कि नई नीति में बिना अनुमति के मोबाइल टावरों और मौजूदा टावरों के निर्माण पर विभिन्न शुल्क लगाने का प्रावधान है। बिना अनुमति या बिल्डिंग परमिट,’ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट’ के भवन पर मौजूदा मोबाइल टावर की अनुमति के लिए 1 लाख रुपये जमा करने का भी प्रावधान है। लेकिन शहरी नियोजन की सुस्ती के कारण मनपा के राजस्व पर करोड़ों रुपये का नुकसान वर्षो से वहन करना पड़ रहा हैं.