नागपुर. मिड डे मील के तहत कक्षा 8वीं तक के विद्यार्थियों को दोपहर के दौरान स्कूलों में पोषण अर्थात मध्यान्ह भोजन परोसा जाता है. कोरोना संक्रमण को देखते हुए कोरोना काल में विद्यार्थियों को भोजन की बजाय अनाज सामग्री दी जा रही है. लेकिन पोषण आहार के नाम पर विद्यार्थियों को मात्र चावल, चना व मूंगदाल ही दी जा रही है. इससे मिड डे मील पर सवाल उठाए जा रहे हैं. जबकि पोषण आहार के रूप में दाल, चावल, चना, तेल, हल्दी, नमक, मसाला सामग्री वितरित करना चाहिए.
उल्लेखनीय है कि समग्र शिक्षा अभियान के तहत कक्षा पहली से 8वीं कक्षा में अध्ययनरत विद्यार्थियों को दोपहर के दौरान स्कूलों में मध्यान्ह भोजन परोसा जाता है. जिले में 1,16,000 विद्यार्थी इस योजना के लाभार्थी हैं. कोरोना काल के पूर्व स्कूलों में ही भोजन परोसा जाता था. शासन की ओर से चावल, दाल, मोट, चौलाई, तेल, नमक, मिर्ची, जीरा तथा मसाले की सामग्री उपलब्ध कराई जाती थी. लेकिन कोरोना को देखते हुए स्कूलों में भोजन परोसने पर पाबंदी लगा दी गई.
पिछले वर्ष से ही बंद थी योजना अगस्त
2021 से विद्यार्थियों को अनाज का वितरण नहीं किया गया था. लंबे अंतराल के बाद अर्थात फरवरी-2022 में स्कूलों में अनाज वितरित करने के लिए पहुंचाया गया. बताया गया है कि अगस्त से फरवरी तक कक्षा पहली से कक्षा 5वीं के प्रत्येक विद्यार्थियों को 15 किलो 400 ग्राम चावल, कक्षा छठवीं से 8वीं के प्रत्येक विद्यार्थियों को 23 किलो 100 ग्राम चावल वितरित करने का प्रमाण दिया गया है.
इसी प्रकार कक्षा 5वीं तक के विद्यार्थियों को 4 किलो 620 ग्राम मूंगदाल व कक्षा 8वीं तक के विद्यार्थियों को 7 किलो 700 ग्राम मूंगदाल वितरित करने का प्रमाण, इस प्रकार कक्षा पहली से 5वीं तक के विद्यार्थियों को 3 किलो 525 ग्राम चना व कक्षा छठवीं से 8वीं तक के विद्यार्थियों को 4 किलो 312 ग्राम चना वितरित करने का आदेश दिया गया है.