लेखक और कवियों को अपने सामाजिक दायित्व को समझते हुए निडर होकर लिखना चाहिए .शब्द कभी भी किसी की सत्ता से संचालित नहीं होते अन्तर्मन में उठी संवेदनाओं की झंकार ही कविताओं का सृजन करती है .उपरोक्त विचार वरिष्ठ पत्रकार एस .एन .विनोद जी ने मुख्य अतिथि की आसंदी से व्यक्त किये .अवसर था कवयित्री निर्मला पाण्डेय की काव्यकृति निर्मल काव्य के लोकार्पण का .
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डाॅ .सागर खादीवाला ने कहा कि निर्मला जी की कविताओं की भाषा और भाव में निर्मल प्रवाह है जिसमें कहीं बनावटीपन नहीं है .विशिष्ट अतिथि पूर्णिमा पाटिल ने कहा कि निर्मला जी की कविताओं की सरलता ही उसकी सार्थकता है . समीक्षक इंदिरा किसलय का कहना था कि प्रसाद के रूप में पाठकों को दी गई इस किताब की समीक्षा नहीं स्तुति की ज़रूरत है जिसमें आंचलिकता ,अध्यात्म और सामाजिक सरोकार से जुड़ी महत्वपूर्ण रचनाएँ हैं .
कवयित्री निर्मला पाण्डेय जी ने कहा कि मैंने इन कविताओं में अपने मन के शुद्ध भाव संजोये हैं जो आपके हृदय को छू सकें तो मेरा लेखन सार्थक होगा .
सृजन बिंब प्रकाशन से प्रकाशित निर्मल काव्य का लोकार्पण मोर भवन के उत्कर्ष सभागृह में हुआ जिसका संचालन रीमा दीवान चड्ढा ने किया .कार्यक्रम के आरम्भ में मीरा जोगलेकर ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की.लोकार्पण अवसर पर मंच में निर्मला जी के पति विजय पाण्डे एवं फिल्म निर्देशक पुत्र आशीष पाण्डे उपस्थित थे जो विशेष रूप से इस लोकार्पण हेतु मुंबई से आये थे.रेशम मदान ने आभार प्रदर्शन किया.
इस अवसर पर ऐषा चटर्जी ,सुरेन्द्र नारायण मिश्र, डाॅ कृष्णा श्रीवास्तव ,ममता त्रिवेदी ,अंजू मिश्रा ,शगुफ्ता क़ाज़ी, रेशम मदान ,आदिला खादीवाला ,नीलम शुक्ला ,टीकाराम साहू ,राजेश नामदेव ,अर्चना अर्चना, मधु गुप्ता , संतोष बुधराजा,पूनम तिवारी ,ममता विश्वकर्मा,हेमलता मिश्र मानवी,
माधुरी राउलकर ,पुष्पा पांडे ,सुजाता दुबे,चित्रा अवस्थी,स्वर्णिमा सिन्हा,वसुंधरा राय, सुषमा भांगे माया शर्मा आदि साहित्यकार बड़ी संख्या में उपस्थित थे.