Published On : Thu, Dec 14th, 2017

लोकतंत्र का आज़ाद भारत या राजतंत्र का दीनहीन भारत?

गुजरात विधानसभा के लिए दूसरे और अंतिम चरण के मतदान आज समाप्त हो जाएगा।18को जनता की पसंद सामने आ जायेगी।18को विजयी और पराजित दोनों पक्ष को अग्रिम शुभकामनाएं!

लेकिन, इस चुनावी प्रक्रिया में आहत लोकतंत्र के घावों की मरहमपट्टी भी इन्हें ही करनी पड़ेगी।जिस निम्नतम स्तर पर चुनाव लड़ा गया, उससे लोकतंत्र और स्वाभाविक रूप से पूरे देश का मानमर्दन पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुआ है।ऐसा कि पिद्दी से पाकिस्तान ने सत्तापक्ष, भाजपा को नसीहत दे डाला कि वह चुनाव अपने बलबूते लड़े, पाकिस्तान को ना घसीटे।दुःखद कि पाकिस्तान को ऐसा अवसर किसी अन्य ने नहीं स्वयं हमारे प्रधानमंत्री ने उपलब्ध करा दिया।संदर्भ से सभी परिचित हैं।अपेक्षा है कि भविष्य में पुनरावृत्ति नहीं होगी।

लोकतंत्र में जनता चुनाव के माध्यम से अपने लिए ‘सेवक’ चुनती है।जनादेश के रूप में ये चिन्हित होता है।सभी इसे स्वीकार करते हैं।चुनाव प्रचार के दौरान

Gold Rate
Saturday 22 Feb. 2025
Gold 24 KT 86,600 /-
Gold 22 KT 80,500 /-
Silver / Kg 97,200 /-
Platinum 44,000 /-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

परस्पर कड़वाहट भी स्वाभाविक है।लेकिन, आलोच्य चुनाव में कड़वाहट ने वीभत्स ही नहीं, अश्लील रूप ले लिया।मर्यादा-नैतिकता तार-तार!जिम्मेदार दोनों पक्ष-भाजपा व कांग्रेस-रहे।कोई कम, कोई ज्यादा।जिस निम्न स्तर पर चुनाव लड़ा गया, देश के चुनावी इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ।शर्मनाक कि ऐसा प्रधानमंत्री के गृह प्रदेश में हुआ।विकास और जनहित के मुद्दे कूड़ेदान में डाल चुनावी दंगल में बाप-दादा, नाना-परनाना, वंश-पैदाइश, मुगल, पाकिस्तान, हिन्दू-मुसलमान, मंदिर-मस्जिद, ऊंच-नीच,चोर-बेईमान!क्या-क्या नहीं कहा गया! कांग्रेस के एक नेता,मणिशंकर अय्यर ने शालीनता को ताक पर रख प्रधानमंत्री को “नीच किस्म का आदमी” निरुपित कर डाला।कांग्रेस ने तत्काल अय्यर को पार्टी से निलंबित कर दिया।

दूसरी ओर प्रधानमंत्री ने अय्यर के निवास पर आयोजित एक “भोज बैठक” को “गुप्त बैठक” बता गुजरात चुनाव में भाजपा के खिलाफ पाकिस्तानी षडयंत्र घोषित कर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी एवं अन्य को साजिशकर्ता बता डाला।हालांकि उस कथित “गुप्तबैठक” में भारत के पूर्व सेनाध्यक्ष दीपक कपूर भी शामिल थे, लेकिन सुविधानुसार उनका नाम नहीं लिया।क्योंकि प्रधानमंत्री एवं अन्य भाजपा नेता जानते थे कि कपूर का नाम लेने पर मामला सेना को राजनीति में घसीटने का बन जायेगा, जो उनके लिए हानिकारक साबित होगा।और सच्चाई ये कि “बैठक” में गुजरात चुनाव पर किसी ने भी कोई चर्चा नहीं की।मनमोहन सिंह और जेन. कपूर ने भी ऐसी किसी चर्चा से इनकार किया है।सचमुच, प्रधानमंत्री के मुंह से ऐसे आरोप अशोभनीय ही माने जाएंगे।प्रधानमंत्री पद की गरिमा के बिल्कुल विपरीत।

खैर अब अपेक्षा ये कि सभी पक्ष 18 दिसंबर को आने वाले चुनाव परिणाम को खेल भावना से लेंगे और ऐसा कुछ नहीं करेंगे जिससे आहत लोकतंत्र दम ही तोड़ दे।लाखों कुर्बानियों के बाद भारत ने अपने लिए एक मजबूत लोकतंत्र पाया है।इसकी रक्षा का दायित्व हम सभी का है।

पहल स्वयं प्रधानमंत्री करें।सही मायने में ” प्रधान सेवक” की भूमिका निभाते हुए वे एक ऐसा आदर्श प्रस्तुत करें जिससे लोकतंत्र का पवित्र मंदिर तो सुरक्षित रहे ही, भविष्य के लिए अनुकरणीय भी बने।

अब और नहीं।बस।ध्यान रहे ,लोकतंत्र मजबूत रहेगा, देश सुरक्षित रहेगा।लोकतंत्र दमित होगा, देश रूपी भवन धूलधूसरित हो जाएगा।

चुनाव करें!मजबूत लोकतंत्र का मजबूत भारत या कठोर राजतंत्र का दीनहीन भारत?

निर्णय आपका!

…. एस एन विनोद 

Advertisement