नागपुर: ऑनलाइन ट्रेडिंग के खिलाफ आज देश भर में आंदोलन था। एक तरफ देश भर के रिटेलरों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था कैट ने ऑनलाइन शॉपिंग साईट्स के खिलाफ शुक्रवार को व्यापार बंद रखा दूसरी तरफ दवा विक्रेताओं ने भी ऑनलाइन पद्धति से दवा बिक्री के खिलाफ आंदोलन किया। शहर में कैट के आंदोलन का अधिक असर तो नहीं दिखा लेकिन शहर की लगभग दवा दुकानें बंद रही। रिटेलरों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भारतीय नागपुर से ही है। आज आंदोलन के दौरान वो नागपुर में नहीं थी लेकिन उनके अपने शहर में शतप्रतिशत बंद नहीं दिखा।
दरअसल व्यापारीवर्ग के संगठन की अपनी राजनीति है जिसक असर इस आंदोलन में भी देखने को मिला। नागपुर में बड़े पैमाने पर रिटेल व्यापार होता है। बावजूद इसके शहर के सभी प्रमुख बाज़ार शुरू ही रहे और वहाँ बाकायदा व्यापार भी हुआ। नागपुर टुडे ने शहर के बाजारों का दौरा कर वहाँ के हालातों का जायजा लिया। कई व्यापारियों ने हमें बताया कि उन्हें बंद की जानकारी अखबारों के माध्यम से मिली। हम जिस संगठन से संबंध रखते है उनकी ओर से प्रतिष्ठानों को बंद करने की कोई जानकारी नहीं मिली और न ही कैट की तरफ से कोई सूचना। इस बंद में निजी पेट्रोल पंप मालिकों ने अपना समर्थन दिया और अधिकतर निजी पंप बंद रहे।
एक ओर जहाँ ऑनलाइन वेब साईट्स पर सामानों की बिक्री पर भले ही शहर के व्यापारियों के एकजुटता नहीं दिखी। लेकिन दूसरी तरफ दवा विक्रेताओं ने बंद में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। ऑल इंडिया केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट असोशिएशन द्वारा घोषित बंद में दवा विक्रेताओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। दवा विक्रेता भी इस क्षेत्र में ऑनलाइन व्यवासय का विरोध कर रहे है।
इस मसले को लेकर कई मर्तबा आंदोलन किया जा चुका है। राज्य सरकार के अन्न व औषधि विभाग ने ऑनलाइन दवा बिक्री को लेकर कुछ कदम जरूर उठाये है लेकिन उसका प्रभाव व्यापक स्तर पर पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है।
दवा विक्रेताओं का ऑनलाइन व्यापार से व्यवासय में आ रही कई अहम मुद्दा जरूर है लेकिन उनका तर्क है की इस व्यवस्था की वजह से कई गंभीर बीमारियों की दवा ऑनलाइन बुलाने का चलन लोगो के बीच बढ़ गया है जो घातक है। नींद,गर्भनिरोधक,सेक्ससुअल दवाईयां आसानी से उपलब्ध हो रही है। जिनका बिना परामर्श के इस्तेमाल करना खतरनाक ही नहीं जिंदगी छीनने वाला भी साबित हो सकता है। दवा विक्रेताओं का कहना है की इस व्यापर में ज्यादातर कम्पनिया विदेशी है और इनके व्यापार का लेखा जोखा सरकार के पास भी नहीं। दवाईयों की पेमेंट ऑनलाइन पद्धति से होती है जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है।
केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट असोशिएशन के उपाध्यक्ष मुकुंद दुबे के अनुसार ऑनलाइन व्यापर के खतरे को देखते हुए कई देशो ने इस पर प्रतिबंध लगा रखा है। हम लंबे समय से सरकार से देश में भी रोक लगाने की माँग कर रहे है लेकिन कोई कदम नहीं उठाया। यह व्यवस्था समाज के लिए खतरा है इसे सरकार को समझाना पड़ेगा।
ऑनलाइन व्यापार व्यवस्था ने बीते 10 वर्षो से भीतर क्रांति की है। घर बैठे सामान मिलने की आदत ने इस व्यवासय को बढ़ाया है। व्यापारी वर्ग के कई क्षेत्रों में इसका विरोध किया जा रहा है लेकिन हकीकत ये है की इस व्यवस्था की निगरानी के लिए देश में कोई प्रभावी व्यवस्था नहीं है।