Published On : Mon, Jun 26th, 2017

इंडस्ट्रियल रोबोटिक्स के विद्यार्थी संस्था के खिलाफ करेंगे मुख्यमंत्री से बात

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नागपुर:
 नागपुर में 2015-16 में ओबेरॉय सेंटर फॉर एक्सीलेंस संस्था के तहत इंडस्ट्रियल रोबोटिक्स के विशेष पाठ्यक्रम की शुरुआत की गई थी. इसकी पहली बैच 2015 की थी. संस्था के अंतर्गत विद्यार्थियों को नौकरी की गारंटी दी गई थी. लेकिन पहली बैच के 18 विद्यार्थियों को अब तक इस विभाग की ओर से नौकरी नहीं मिल सकी है. यहाँ के विद्यार्थियों का कहना है कि फिल्म अभिनेता विवेक ओबेरॉय इस संस्था के संस्थापक हैं. उन्होंने इस संस्था को राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के साथ सलंग्न किया है. विद्यार्थियों ने संस्था पर आरोप लगाते हुए कहा है कि इस एक वर्ष के कोर्स के लिए 90 हजार रुपए फीस ली गई थी. जिसके कारण तीन विद्यार्थियों ने एज्युकेशन लोन लिया तो वहीं कई विद्यार्थियों ने इधर उधर से पैसों का इंतजाम किया. लेकिन अब नौकरी न मिलने के कारण संस्था के खिलाफ इन लोगों ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़वनीस से मिलकर अपनी समस्या व्यक्त करने की बात कही है.

वहीं सेंटर की विभाग प्रमुख नीमा पटेल से जब इस बारे में चर्चा की गई तो उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि संस्था पर सभी विद्यार्थियों द्वारा लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं. उन्होंने बताया कि 2015-16 की बैच के 18 विद्यार्थियों में से 15 विद्यार्थियों को ही जॉब चाहिए थी. क्योंकि इनमें से 3 विद्यार्थी उच्च शिक्षा के लिए दूसरे संस्थानों में प्रवेश ले चुके हैं. बाकी विद्यार्थियों के लिए नवंबर 2016 से विभाग की ओर से प्रयास किए गए थे. जिसमें इंदौर, पुणे, अमरावती, औरंगाबाद की 11 कंपनियों में इनमें से कई विद्यार्थियों ने इंटर्नशिप की है. लेकिन विद्यार्थियों ने इंटर्नशिप पूरी होने के बाद काम करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई. पटेल ने बताया कि औरंगाबाद में 4 पोस्ट थी, जिसे विद्यार्थियों ने रिजेक्ट कर दिया. इंदौर में इंटरव्यू के दौरान 1 विद्यार्थी फेल हो गया था. तो वहीं पुणे की एक कंपनी ने विद्यार्थियों को बल्क में लेने की पेशकश की थी, लेकिन विद्यार्थियों ने कंपनी के फ़ोन का कोई भी प्रतिसाद नहीं दिया. अमरावती की कंपनी में इंटर्नशिप के बाद बच्चों को जॉब मिलनेवाली थी, लेकिन बच्चों को वहां जॉब नहीं करनी थी. उन्होंने बताया कि इंदौर में बच्चों को डायरेक्ट रिक्रूटमेंट के लिए इंटरव्यू में जाना था, लेकिन वहां पर भी यह बच्चे नहीं गए.

विभागप्रमुख पटेल ने बताया कि बच्चों को जितने भी इंटरव्यू पर भेजने के लेटर आए हैं वह उनके पास मौजूद हैं. उन्होंने बताया कि कई बच्चे इंटरव्यू में फेल हुए तो कई बच्चों को नागपुर शहर से बाहर काम ही नहीं करना था. जिसके कारण बच्चे जॉब नहीं कर पाए. इसमें संस्था की कोई भी गलती नहीं है. संस्था अपनी तरफ से पहले भी प्रयास कर रही थी और अभी भी प्रयास कर रही है.

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