नागपुर।; बुद्ध धम्म और उसके विभिन्न पहलुओं के सुत्तपिटक और विनयपिटक के बाद सबसे महत्वपूर्ण अभिधम्मपिटक पर 5वां अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन हाल ही में संघकाय फाउंडेशन के माध्यम से दीक्षाभूमि के सभागार हॉल में संपन्न हुआ। इस अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन में बौद्ध धर्म और विज्ञान, बौद्ध धर्म और मानसिक स्वास्थ्य, अभिधम्म और प्रज्ञा, अभिधम्म में मनोविज्ञान, अभिधम्म में कर्म और पूर्णभाव, अभिधम्म में व्यक्तियों का विश्लेषण, अभिधम्म और विपश्यना, डॉ बाबासाहब आंबेडकर और उनका मिशन आदि विषय थे। दिन भर में दो सत्रों में चर्चा हुई।
साथ ही इस अवसर पर पीएचडी रिसर्च छात्रों ने अपने पेपर पढ़े। अभिधम्म विषय पर पाली विशेषज्ञ डॉ. बालचंद्र खांडेकर, पाली विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ. मालती साखरे, मुंबई विश्वविद्यालय के पाली विभाग की प्रमुख डॉ. शालिनी बागड़े, डॉ. मनीषा गजभिये, डॉ. सुशांत मेश्राम, डॉ. मिथुन कुमार, पत्र के माध्यम से भंते विचियन, भंते प्रशिल रत्न के साथ ही साची की सोनाली बारमाटे, दिल्ली के सुदीप कुमार, औरंगाबाद की पुष्पा गायकवाड़, भंते शुभमचिट्टा, महा नागरत्न जुमदे, एड लालदेव नंदेश्वर आदि ने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर डॉ. बालचंद्र खांडेकर को पाली भाषा में उनके योगदान के लिए पाली रत्न पुरस्कार से नवाज़ा गया। पालिकोविद से डॉ. मालती साखरे, भंते विचियां को बुद्ध रत्न, पालिपुष्प से डॉ. शालिनी बागड़े और मनीषा गजभिए, भीमरत्न से डॉ. प्रदीप अगलावे के साथ-साथ विजय दर्डा डॉ. सुशांत मेश्राम, उत्तम शेवड़े और मिथुन कुमार को मानव समाज में उनके विभिन्न योगदानों के लिए गेस्ट ऑफ ऑनर स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
साथ ही भंते अभय, भंते महेंद्र, डॉ. रेखा बडोले, डॉ. प्रतिभा गेडाम, डॉ. बीना नगरारे, डॉ. रूपा वालदे, डॉ. अनीता हाड़के, डॉ. तुलसा डोंगरे, डॉ. कल्पना मून, डॉ. ज्वाला डोहाने, योगिता इंगले, संदीप सुंदरकर, कमलेश चाहंडे, अमित गडपायले, धम्म का प्रचार करने वाले अन्य लोगों को धम्मदूत पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर कबीरा कॉन्वेंट के छात्रों ने संबोधि डोंगरे द्वारा बुद्ध के जीवन पर स्वागत गीत और नृत्य प्रस्तुत किया गया। प्रथम सत्र की अध्यक्षता डॉ. भालचंद्र खांडेकर ने की। सम्मेलन का उद्घाटन लोकमत मीडिया ग्रुप के प्रमुख विजय दर्डा ने किया। कार्यक्रम के परिचयात्मक बैठक के आयोजक भंते प्रशील रत्न रहे। डॉ. रेखा बडोले और अश्विनी पाटिल ने कार्यक्रम का संचालन किया और कार्यक्रम का समापन इंजी. पीएस खोबरागड़े ने किया।