विदेशों के होटलों में हैं सट्टा करोबारियों की भागीदारी
नागपुर: सट्टेबाजों के लिए स्वर्ग बन चुके नागपुर के सट्टा कारोबारी अब ज्वेलरी, इफ्रा और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश कर रहे हैं. यही नहीं निवेश का दायरा विदेशों तक बढ़ने की जानकारी सूत्र दे रहे हैं.
जीएसटी और नोटबंदी के बाद अधिकांश व्यवसाय संकट में आ गए थे. बावजूद इसके शंकर नगर, धरमपेठ आदि इलाकों के ज्वेलरी शोरूम का व्यवसाय दिन दोगुनी रात चौगुनी फलफूल रहा था. वहीं दूसरी ओर शहर के कुछ सट्टा कारोबारियों की जमीन खरीदी पूरे राज्य में शबाब पर है. भवन निर्माण में भी इसी सट्टे के धंधे से लिप्त अलग आलीशान सिटी का निर्माण कर रहे हैं. इन्हीं धंधे में लिप्त कुछ ने देश-विदेश में होटल व्यवसाय में निवेश किया है.
उक्त अंतर्राष्ट्रीय सट्टेबाज खुद का दामन साफ़-सुथरा रखने के लिए कोई बिछायत की दुकान पर दिख रहा है तो कोई भोजन दान, शिर्डी यात्रा निशुल्क करवा रहा है. शहर से ‘टॉप २०’ सट्टेबाज अपने गुर्गों को लेकर साल में एक बार राजस्थान भ्रमण करते हैं. इन्हीं में से एक गैंग होली में १० दिनों के लिए सहल पर जा रही है.
इस अवैध व्यवसाय की सूक्ष्म जानकारी सभी संबंधितों को है. क्यूंकि इस अवैध व्यवसाय के खिलाफ कार्रवाई करने वाले और सार्वजानिक करने वाले सभी सम्बंधित ‘पैक’ हो चुके हैं, इसलिए यह धंधा पूरे शबाब पर है.
इस धंधे के लिप्त अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों का ज़रा भी नाम उछलते ही इनके गुर्गे और दलाल मामला दबाने और इनका पक्ष रखने के लिए सक्रिय हो जाते हैं. .’नागपुर टुडे’ में खबर छपते ही २ दर्जन से अधिक उक्त दिग्गजों के अनुयायी व ज्वेलरी शोरूम के संचालकों के समर्थकों का कॉल आने का ताँता शुरू हो चुका है.
सटोरियों के साथ सट्टे के धंधे में लिप्त ज्वेलरी शोरूम संचालक वर्तमान में इस धंधे की मुख्यधारा में है. इसके बाद जरीपटका के हरचंदानी, महल के जैस्वाल व चौरसिया आदि की मदद से व्यवसाय का सफल संचलन किया जा रहा है. पिछले २ दिनों से हरकत में आये गुर्गे के अनुसार उक्त व्यवसाय की बारीक़ जानकारी सम्बंधित थाना प्रभारी, विशेष शाखा,अपराध शाखा और आर्थिक अपराध शाखा को भलीभांति हैं.
क्यूंकि सब कुछ समन्वय से शुरू इसमें खलल पड़ने से उन्हें कार्रवाई करने की नौबत आन पड़ती है. इसलिए उक्त विभागों के प्रमुखों को अपने विभाग में वर्षों से तैनात अधिकारी-कर्मियों के अंतर्गत खंगालना और तबादला करने से कुछ हद्द तक उक्त व्यवसाय को रोकने का मार्ग प्रसस्त हो सकेगा. जिससे सट्टेबाजों द्वारा नामी-बेनामी खरीदी की गई सम्पत्तियों का पता लगने पर नियमानुसार कार्रवाई का मार्ग खुल सकता है, अन्यथा नामुमकिन हैं इस व्यवसाय को शहर-जिले से उखाड़ फेंकना.