Published On : Mon, Aug 21st, 2023
By Nagpur Today Nagpur News

चांद के जिस हिस्से को धरती से किसी ने नहीं देखा, Chandrayaan-3 ने भेजी उसकी

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चंद्रमा के फार साइड यानी उस हिस्से की तस्वीरें जारी हुईं हैं, जो कभी पृथ्वी की तरफ नहीं दिखता. ये तस्वीरें जारी हुई हैं ISRO की तरफ से. इसरो ने ट्वीट करके चांद के उस हिस्से की तस्वीरें दिखाई हैं, जो हम खुली आंखों से कभी नहीं देख सकते.

इन तस्वीरों को लिया Chandrayaan-3 के विक्रम लैंडर में लगे लैंडर हजार्ड डिटेक्शन एंड अवॉयडेंस कैमरा (Lander Hazard Detection and Avoidance Camera – LHDAC) ने. चार तस्वीरों में अलग-अलग जगहों पर मौजूद गड्ढों की तस्वीरें हैं. कुछ गड्डे बेहद भयानक दिख रहे हैं. ऊबड़-खाबड़ हैं. तो कही लंबा मैदान दिख रहा है.

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LHDAC कैमरा खासतौर से इसी काम के लिए बनाया गया है कि कैसे विक्रम लैंडर (Vikram Lander) को सुरक्षित चांद की सतह पर उतारा जाए. इसे इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (SAC), अहमदाबाद ने बनाया है. इस कैमरे के साथ कुछ और पेलोड्स भी मिलकर काम करेंगे.

सुरक्षित लैंडिंग में ये यंत्र भी करेंगे मदद
LHDAC के साथ जो पेलोड्स लैंडिंग के समय मदद करेंगे, वो हैं- लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा (LPDC), लेजर अल्टीमीटर (LASA), लेजर डॉपलर वेलोसिटीमीटर (LDV) और लैंडर हॉरीजोंटल वेलोसिटी कैमरा (LHVC) मिलकर काम करेंगे. ताकि लैंडर को सुरक्षित सतह पर उतारा जा सके.

जानिए कितनी स्पीड से नीचे उतरेगा लैंडर
विक्रम लैंडर जिस समय चांद की सतह पर उतरेगा, उस समय उसकी गति 2 मीटर प्रति सेकेंड के आसपास होगी. लेकिन हॉरीजोंटल गति 0.5 मीटर प्रति सेकेंड होगी. विक्रम लैंडर 12 डिग्री झुकाव वाली ढलान पर उतर सकता है. इस गति, दिशा और समतल जमीन खोजने में ये सभी यंत्र विक्रम लैंडर की मदद करेंगे. ये सभी यंत्र लैंडिंग से करीब 500 मीटर पहले एक्टिवेट हो जाएंगे.

लैंडिंग के बाद कौन से यंत्र काम करेंगे
इसके बाद विक्रम लैंडर में लगे चार पेलोड्स काम करना शुरू होंगे. ये हैं रंभा (RAMBHA). यह चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा. चास्टे (ChaSTE), यह चांद की सतह की गर्मी यानी तापमान की जांच करेगा. इल्सा (ILSA), यह लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा. लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे (LRA), यह चांद के डायनेमिक्स को समझने का प्रयास करेगा.

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