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नागपुर: शहर से निकलने वाले कचरे पर जबलपुर मॉडल की तर्ज पर काम कर कचरे से बिजली बनाई जाएगी। बीते एक साल से एस्सेल और हिताची कंपनी की मदत से जबलपुर में यह काम जारी है। शहर के कचरे का निपटारा कर और नागपुर में बिजली तैयार करने की जिम्मेदारी एस्सेल ग्रुप को ही सौंपी गयी है।
इस काम को अंजाम देने के लिए बिजली कंपनी डम्पिंग यार्ड में बिजली का केंद्र बनाएगी मनपा ने दावा किया है 600 मेट्रिक टन कचरे पर प्रक्रिया कर 11. 3 मेगावॉट बिजली का निर्माण किया जायेगा। शहर से प्रत्येक दिन लगभग 11 सौ मैट्रिक टन कचरा निकालता है जिसमे 500 मेट्रिक टन गिला जबकि 600 मेट्रिक तन सूखा कचरा निकलता है। सूखे कचरे पर प्रक्रिया कर बिजली निर्माण का काम किया जायेगा। कचरे से बिजली निर्माण की तकनीक के दौरान 900 डिग्री सेल्सियश तापमान में कचरे को जलाकर बिजली तैयार की जाती है।
पर्यावरणविद कौस्तुभ चैटर्जी ने इस योजना को पर्यवारण संरक्षण की दिशा में अहम कदम माना है। उनके मुताबिक इस काम को शहर में जल्द से जल्द शुरू होना चाहिए। अगर यह प्रकल्प सफल होता है तो पर्यावरण के संरक्षण के लिए विश्व के सभी देशो द्वारा किये गए कमिटमेंट को पूरा करने में शहर का भी योगदान होगा।
भारत ने 2020 तक अपनी जरुरत की पूर्ति के लिए 40 प्रतिशत ऊर्जा रेन्यूएबल एनर्जी सोर्स से उत्पादित करने का लक्ष्य रखा है। पर शहर में जो सूखा कचरा निकालता है उसमे से केवल 20 प्रतिशत ही रिसायकल किया जा सकता है बाकि बचे 80 % के लिए मनपा के पास अब भी कोई ठोस उपाय योजना नहीं है। मनपा ने सिर्फ गीले कचरे और सूखे कचरे की ओर ध्यान दिया है लेकिन साफ़ है की अगर गीले कचरे से खाद बनाने और सूखे कचरे से बिजली बनाने का प्रयास सफल होने के बाद भी शहर को कचरे से मुक्ति नहीं मिल पायेगी।