– पर्यावरण और जल प्रबंधन विशेषज्ञों ने हाल में जलयुक्त शिवार के तहत अवैज्ञानिक ढंग से काम किए जाने का दावा किया था
नागपुर – महाराष्ट्र की पिछली सरकार की सबसे चर्चित योजना जलयुक्त शिवार मौजूदा महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार के निशाने पर है। महाराष्ट्र सरकार मराठवाड़ा में हाल की भारी बारिश से हुए जलभराव की वजह जलयुक्त शिवार योजना को बता रही है, तो पूर्ववर्ती सरकार के मुखिया इसकी वजह योजना पर लगाई गई रोक को बता रहे हैं। इस योजना पर रोक के साथ इसकी जांच भी शुरू है।
पर्यावरण और जल प्रबंधन विशेषज्ञों ने हाल में जलयुक्त शिवार के तहत अवैज्ञानिक ढंग से काम किए जाने का दावा किया था। जलयुक्त शिवार भाजपा के नेतृत्व वाली पिछली महाराष्ट्र सरकार की एक अहम जल संरक्षण योजना है। मराठवाड़ा इलाके में बारिश के कारण फसलों को हुए नुकसान की समीक्षा करने के बाद विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महा विकास आघाडी सरकार ने जलयुक्त शिवार को बंद कर दिया है जिससे कुछ इलाकों में जलभराव हो गया है। किसानों से बातचीत में फडणवीस ने कहा कि किसानों ने एक महत्वपूर्ण बात कही कि नदियों की खुदाई और चौड़ीकरण से कई इलाकों में जलभराव रुका है। इस सरकार ने यह योजना स्थगित कर दी है और खुदाई तथा चौड़ीकरण के काम को रोक दिया है जिससे इलाके जलमग्न हो गए हैं।
फडणवीस ने एक वीडियो साझा किया है जिसमें एक किसान उन्हें जलभराव रोकने के लिए धौतपुर में नदी की खुदाई की आवश्यकता के बारे में बता रहा है, जबकि इरला के एक किसान ने दावा किया कि नदी की खुदाई ने गांव में जलभराव को रोका था। भाजपा नेता ने दशहरे से पहले किसानों के बैंक खातों में मुआवजा राशि भेजकर उन्हें तत्काल वित्तीय मदद पहुंचाने की अपनी मांग भी दोहराई। उन्होंने कहा कि भाजपा तब तक प्रदर्शन करती रहेगी, जब तक राज्य सरकार किसानों की मदद नहीं करती। पार्टी यह भी सुनिश्चित करेगी कि नदियों की खुदाई और चौड़ीकरण का काम बहाल हो।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने पिछले महीने ही जलयुक्त शिवार के तहत 900 निर्माण कार्यों की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) से जांच का आदेश दिया है। यह राज्य में 2014-19 के बीच रही फड़णवीस नीत भाजपा सरकार की महत्वपूर्ण योजना थी। जांच आदेश पर राज्य के जलसंरक्षण मंत्री शंकरराव गडाक ने कहा था कि 900 परियोजनाओं में दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया गया और उनमें निर्माण कार्य घटिया रहा है, उन्हें एसीबी जांच का सामना करना पड़ेगा। जिलाधिकारी इस योजना के तहत मंजूर किए गए करीब छह लाख अन्य निर्माण कार्यों की जांच करेंगे और काम की गुणवत्ता का पता लगाएंगे और यह भी देखेंगे कि प्रक्रिया का पालन किया गया या नहीं।
पिछली भाजपा सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर लाई गई यह योजना खेतों में तालाबों, जलधाराओं पर बांध के निर्माण, नदियों से तलछट हटाने आदि पर केंद्रित थी। इस योजना पर भ्रष्टाचार एवं जलसंरक्षण के गैर वैज्ञानिक तरीके अपनाने के भी आरोप लगे। अपने कार्यकाल में फडणवीस ने जल युक्त शिवार योजना को अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बनाया था। फडणवीस ने इस योजना की शुरुआत 2019 में की थी । इस योजना का उद्देश्य महाराष्ट्र को सूखा मुक्त बनाने का था। इसके तहत 5,000 गांवों में में पानी की कमी दूर करना, जल संरक्षण उपायों में सुधार और सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध कराना था । तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार ने जल युक्त शिवर योजना लागू करने से पहले राज्य के उन क्षेत्रों का चयन किया, जहां पानी की भारी समस्या थी और जहां किसान सबसे सबसे ज्यादा आत्महत्या कर रहे थे ।
सत्ता में बदलाव के साथ ही इस योजना को बंद कर दिया गया। साथ ही इस योजना पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगने शुरू हो गए। फडणवीस सरकार की इस योजना पर कैग (सीएजी) ने अपनी रिपोर्ट में कई सवाल खडे किए थे। इस योजना के लिए कुल 9,633.75 करोड रुपये खर्च किये गए थे। कैग रिपोर्ट के मुताबिक इस योजना से न तो जमीन में जलस्तर बढ़ा और न ही इस योजना को लागू करते वक्त पारदर्शिता बरती गई थी।