महाराष्ट्र के 8 गांवों ने की मध्यप्रदेश में शामिल करने की मांग , मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा
गोंदिया जिले के आमगाँव नगर परिषद के तहत आने वाले 8 गांवों के बाशिंदों ने सीमावर्ती मध्य प्रदेश राज्य में शामिल करने के लिए आंदोलन तेज कर रखा है।
आमगाँव, बनगाँव, किड़़गीपार, माल्ही, पदमपुर, कुम्भारटोली, बिरसी, रिसामा ये गांव महाराष्ट्र राज्य के गोंदिया जिले में हैं और उनकी माँग है कि उन्हें सीमावर्ती राज्य के साथ विलय कर दिया जाए।
3 मार्च के सामूहिक मुंडन आंदोलन के बाद एक बार फिर मसला गरमा गया है
10 मार्च शुक्रवार को इन 8 गांवों के लोगों ने बैल बंडी मार्च निकाला और सैकड़ों ग्रामीणों ने इस मोर्चे में हिस्सा लिया और उन्होंने तहसीलदार के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया है , बता दें कि इन आठ गांवों की आबादी लगभग 40 हजार है और इनका राज्य सीमा क्षेत्र मध्य प्रदेश से सटा हुआ है।
लंबित मुकदमे के कारण 2014 के बाद नहीं हुआ कोई चुनाव
इनका कहना है कि महाराष्ट्र सरकार पिछले आठ साल से नगर पंचायत और नगर परिषद के बीच विवाद पैदा करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है इससे इन गांवों का विकास नहीं हो पा रहा है और पिछले आठ साल से इनके गांवों के विकास का पहिया रुका हुआ है ।
उक्त कोर्ट केस के चलते राज्य सरकार ने प्रशासक के पद को जारी रखा हुआ है इस लंबित मुकदमे के कारण 2014 के बाद यहां कोई आम चुनाव नहीं हुआ।
जनप्रतिनिधियों का चुनाव न होने तथा योजना विकास निधि स्वीकृत न होने के कारण इस क्षेत्र का विकास ठप्प पड़ गया है।
उक्त क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए महाराष्ट्र राज्य सरकार ने राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं को अवरुद्ध कर दिया है और नागरिकों को बुनियादी विकास से वंचित कर दिया गया है ।
बैलगाड़ी पर दिखी आवासीय योजना और शौचालय की प्रतिकृति
नगर परिषद संघर्ष समिति ने मांग की है कि इन आठ गांवों को मध्य प्रदेश राज्य में विलय कर राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं को लागू किया जाए।
इन आठ गांवों के लोगों को पीएम आवास योजना , शौचालय व अन्य लाभ दिलाने के लिए कई बार ज्ञापन दिया जा चुका है लेकिन ये ग्रामीण अब तक इससे वंचित हैं उसके लिए उन्होंने राज्य सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए बैलगाड़ी मार्च निकाला।
इस दौरान बैलगाड़ी पर घरकुल और शौचालय की प्रतिकृति बनाई गई और तहसीलदार के माध्यम से मुख्यमंत्री को अपनी मांगों को लेकर प्रतिवेदन दिया गया।
इस बेलबंडी मोर्चे की अगुवाई रवि क्षीरसागर, यशवंत मानकर, संजय बहेकार, उत्तम नंदनेश्वर आदि कार्यकर्ताओं द्वारा की गई ।
रवि आर्य