नागपुर : चुनावी आचारसंहिता के उल्लंघन का आरोप झेल रहे राज्य के कैबिनट मंत्री महादेव जानकर को हाईकोर्ट का झटका लगा है। चुनाव आयोग के आदेश के बाद दर्ज किये गए मामले को रद्द करने की प्रार्थना करते हुए जानकर ने मुंबई उच्च न्यायलय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दर्ज की थी लेकिन अदालत शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने मामले में राहत देने से इनकार कर दिया। पशु संवर्धन और दुग्धविकास मंत्री जानकर का एक वीडियो शीतसत्र अधिवेशन के दौरान वायरल हुआ था।
इस वीडियो में मंत्री अपनी पार्टी के उम्मीदवार को पसंद का चुनाव चिन्ह दिलाने के लिए चुनाव अधिकारी पर दबाव बनाते दिखाई दे रहे है। जानकर ने गडचिरोली की वडसा नगरपालिका के चुनाव में खड़े पार्टी प्रत्यशी के लिए चुनाव अधिकारी को फ़ोन किया था। वीडियो के वायरल होने के बाद चुनाव आयोग ने मामले पर संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज करने का आदेश दिया। काँग्रेस ने भी इस मामले में शिकायत दर्ज कराई थी।
इसी मामले वडसा के जेएमएफसी न्यायालय ने इस पूरी घटना की जांच के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट में अपने ऊपर चुनाव आयोग द्वारा दर्ज कराया गया मामला रद्द करने और वडसा जेएमएफसी न्यायालय के अादेश पर अंतरिम स्थगन देने की प्रार्थना की थी। लेकिन हाईकोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया जिसके बाद जानकर ने अपील वापस ले ली। मामला सामने आने के बाद जानकर ने खुद को बेगुनाह बताया था जबकि खुद मुख्यमंत्री ने सदन में जानकर का बचाव करते हुए सज्जन तक करार दे दिया था।
हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद विधानपरिषद में काँग्रेस के विधायक दल के नेता शरद रणपिसे ने जानकारी दी। जिस वक्त यह जानकारी दी गयी उस वक्त राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर शुरू चर्चा के तहत नेता प्रतिपक्ष धनंजय मुंडे भाषण दे रहे थे। अदालत के आदेश की भाषण के बीच में जानकारी मिलने पर नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री पर व्यंग करते हुए कहाँ की मुख्यमंत्री के सज्जन जानकर को अदालत ने भी दोषी ठहरा दिया।