सत्ता के गलियारे से — कृष्णमोहन सिंह
नई दिल्ली। यूपीए सरकार के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कई फर्जी मुठभेड़ व इसरत जहां हत्या आदि मामलों में अपने यसमैन अमित शाह की पैरवी करने के लिए प्रसिद्ध वकील राम जेठमलानी को लगवाया था और उसके एवज में जिद करके उनको राजस्थान से भाजपा का राज्यसभा सांसद बनवा दिया. भाजपा का सांसद रहते हुए जेठमलानी ने गडकरी को अध्यक्ष पद से हटवाने और उसके बाद नरेन्द्र मोदी को भारत का प्रधानमंत्री बनवाने की मुहिम चलाई थी. उसी दौरान संसदीय पार्टी की बैठक में भाजपा नेताओं को यूपीए सरकार की पिट्ठू आदि कहने के कारण पार्टी से निकाल दिया गया था. उसके बाद भी जेठमलानी ने मोदी को प्रधानमंत्री बनवाने की मुहिम जारी रखी थी.
जब मोदी प्रधानमंत्री बन गये तो कुछ माह बाद उनको जेठमलानी ने चुनाव के दौरान विदेश से कालाधन वापस लाने के वायदे के बारे में याद दिलाते हुए पत्र लिखा. सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही जेठमलानी आदि ने कालाधन वापसी के लिए सरकार को निर्देश देने के लिए पीआईएल दाखिल किया है , उसकी पैरवी किया .और मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया कि यह सरकार और इसके वित्त मंत्री अरूण जेतली भी विदेशी बैंकों में कालाधन रखने वाले भारतीयों को बचाने के लिए वही तर्क देने लगे हैं जो यूपीए सरकार देती रही है. जो मोदी प्रधानमंत्री बनने के पहले तक जेठमलानी को बहुत पुचकारते रहे वह अब मतलब निकल जाने के बाद उनके पत्रों तक का जवाब नहीं दे रहे हैं. और कालाधन के मामले में तो मोदी, उनके यसमैन अमित शाह व सरकार ने कहना शुरू कर दिया है कि चुनाव में कालाधन दो माह में वापस लाने की बात केवल जुमला के तौर पर प्रयोग किया गया था. जनता से इस तरह का वायदा नहीं किया गया था. जेठमलानी ने विदेशी बैंकों में जमा 90 लाख करोड़ रूपये कालाधन वापस नहीं लाने के मामले में जनता के साथ मोदी सरकार , वित्त मंत्री अरूण जेतली , भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा किये इस विश्वासघात को उजागर करते हुए एक बड़े अखबार में आधा पेज विज्ञापन छपवाया है. जिसमें लिखा है कि जर्मनी ने लिंचटेंस्टीन बैंक में 1400 भारतीयों के खातों व कालाधन का विवरण देने के लिए भारत सरकार को खी बार लिखा है. वह विवरण देने को तैयार है. लेकिन पहले यूपीए सरकार और अब मोदी सरकार भ्रष्ट उद्योगपतियों, बिल्डरों, नेताओं, फिल्मवालों आदि को विदेश में रखे कालाधन मामले में बचाने के लिए डबल टैक्सेशन उल्लंघन समझौते का तर्क दे रही है. जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने सबके नाम उजागर करने का निर्देश दिया है. और अमेरिका ने इसी तरह के मामले में जर्मनी से सारी सूचना लेकर बैंक पर दबाव डालकर उससे पेनाल्टी तो ले ही लिया कालाधन रखने वाले और अमेरिकियों के खातों का विववरण भी ले लिया. जेठमलानी ने वित्त मंत्री अरूण जेतली से पूछा है कि वह डबल टैक्सेशन एवायडेंस ट्रिटी के बारे में कुछ जानते भी हैं.
उनको यह पता होना चाहिए कि यह समझौता केवल लिजिटिमेट मामले में लागू होता है. अवैध रूप से कालाधन विदेशी बैंकों में रखने के मामले में नहीं. इस तरह जेठमलानी ने इसमामले में सीधे जेतली मोदी व शाह को विदेशी बैंकों में कालाधन रखने वाले भारतीयों,उद्योगपतियों आदि को बचाने का जिम्मेदार ठहराया है. इस विज्ञापन के बारे में लोग कहने लगे हैं कि मामला 90 लाख करोड़ रूपये का है. मोदी, जेतली, शाह को अच्छी तरह मालूम है कि उद्योगपतियों आदि को इतनी रकम चुपचाप निकाल ले जाने दिया गया और उनको बचा दिया गया तो उसके बदले क्या लाभ मिलेगा. इसे मोदी व उनके कीर्तनी इसे भ्रष्टाचार नहीं, ईमानदारी वाला काम कहकर प्रचार करेंगे.