देश में दशहरे पर रावण का पुतला जलाने की परंपरा रही है, हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार इस अधर्म पर धर्म की और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक भी माना गया है। लेकिन इस बार एक तरफ सोशल मीडिया पर रावण के पक्ष में खूब पोस्ट्स लिखे गए और वहीं दूसरी तरफ देश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पुतलादहन की परंपरा एक अजीबोगरीब तरीके से शुरु की गई।
मोदी और शाह को रावण बनाया
दशहरे पर जेएनयू कैंपस में जो रावण जलाया गया, उसके रावण के चेहरे की जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगाई गई। रावण के बाकी नौ सिर में अमित शाह, नाथूराम गोडसे, रामदेव, महंत आदित्यनाथ, आसाराम और साध्वी प्राची आदि के चेहरे लगाए गए थे। स्टूडेंट्स ने कार्ड पर स्लोगन लिखे- ”बुराई पर सत्य की जीत होकर रहेगी।” इस दौरान मोदी और बाकी चेहरों के खिलाफ नारेबाजी भी हुई।
वामपंथियों ने सराहा
पीएम और बाकी नेताओं का पुतला मंगलवार रात को जेएनयू कैंपस में सरस्वती ढाबा के पास जलाया गया। जेएनयू में NSUI के प्रेसिडेंट कैंडिडेट रह चुके सनी धीमान ने कहा, ”हमने जुमलों, झूठ और फरेब के रावण का पुतला फूंका है। एनसयूआई के मेंबर मसूद का बयान आया कि ”हां, हमने ऐसा किया, ये मोदी सरकार से हमारा असंतोष दिखाता है। एसएफआई के प्रेसिडेंट वलीउल्ला खां कादरी ने कहा, ”हम पुतला फूंकने का सपोर्ट करते हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने एनएसयूआई के इस हरकत का विरोध किया और कड़ी निंदा की।
लोकतंत्र में विरोध की अपनी जगह है लेकिन किसी उच्च शिक्षा संस्थान में देश के प्रधानमंत्री को रावण बनाकर उनका पुतला फूंके जाने के तरीके को मीिडया सरकार भी गलत ठहराती है।