Published On : Fri, Nov 16th, 2018

विश्वसनीयता ही पत्रकारिता की सबसे बड़ी पूंजी

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बाबूराव विष्णु पराडकर की स्मृति में व्याख्यान

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नागपुर: पत्रकारिता के नीति मूल्यों का पालन करने का आव्हान करते हुए वरिष्ठ पत्रकार एस.एन विनोद ने कहा है कि फिलहाल पत्रकारिता के अस्तित्व पर संकट है। कई प्रश्न उठ रहे हैं। आरोप लग रहे हैं। ऐसे में विश्वसनीयता की पत्रकारिता की सबसे बड़ी पंूजी है। नैतिक मूल्यों के साथ पत्रकारिता करनेवालों के सामने चुनौतियां तो आएगी पर अधिक समय तक ठहर नहीं पाएगी। सही पत्रकारिता करनेवालों पत्रकारों के समर्थन व संरक्षण के लिए समाज के लोग ही सबसे पहले आगे आएंगे। समझौतावादी सोच से दूर रहकर पत्रकारों को समाज व राष्ट्रहित में काम करना चाहिए। हिंदी पत्रकारिता को महत्वपूर्ण मानते हुए श्री विनोद ने यह भी कहा कि स्वतंत्रता के आंदोलन में हिंदी पत्रकारिता का बड़ा योगदान रहा है।

हिंदी पत्रकारिता ने स्वतंत्रता आंदोलन को ऊर्जा दी थी। बाबूराव विष्णु पराडकर जैसे पत्रकारों ने स्वतंत्रता आंदोलन व उसके बाद पत्रकारिता में जो आदर्श कायम किया उसका अनुकरण सभी ने करना चाहिए। शुक्रवार को पत्रकार दिन के मौके पर हिंदी पत्रकार संघ मध्य भारत की ओर से लोहिया भवन काटन मार्केट में आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम में श्री विनोद बोल रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता हरीश अडयालकर ने की।

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हिंदी पत्रकार संघ के महासचिव मनीष सोनी मंच पर थे। कार्यक्रम के आरंभ में आशीष दुबे ने बाबूराव पराडकर के जीवन पर प्रकाश डाला। श्री विनोद ने पत्रकारिता के क्षेत्र में आए बदलाव का जिक्र करते हुए कहा कि सच बोलने व लिखने के तरीकों में बदलाव किया जा सकता है लेकिन सच का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए। विश्वसनीयता के साथ की जानेवाली पत्रकारिता में जो सम्मान मिलता है वह अमूल्य है। पत्रकार व पत्रकारिता पर आरोप लगाने वाले नेता, मंत्रियाें व यहां तक कि प्रधानमंत्री को भी जवाब देने के लिए पत्रकारों संघों ने आगे रहना चाहिए। आभार प्रदर्शन आनंद शर्मा ने किया।

मनोज चौबे,कमल शर्मा,कृष्ण नागपाल,टीकाराम साहू, विजय नायडू, जान थामस, सतीश आदमने, धीरज पांडेय, अजितसिंह, दिनेश यादव, अमर नागपाल, प्रवीण डब्ली, प्रा.नंदकिशोर भगत, प्रशांत ठाकरे, प्रकाश पोटपोसे, विनय शर्मा व अन्य उपस्थित थे।

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