नागपुर- चुनावी दंगल कब मारपीट और हाथापाई के बीच में बदल गई. यह मौजूद जनता को भी पता नहीं चला . जिसमें होस्टिंग करनेवाले पत्रकार के साथ भी बदसलूकी और हाथापाई करने की जानकारी सामने आयी है. दरअसल मध्य नागपुर के ‘ वार्ड समस्या निवारण समिति की तरफ से रविवार 13 अक्टूबर को चुनावी अखाड़ा यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम में मध्य नागपुर के सभी उमेदवार मौजूद रहनेवाले थे और वार्ड की समस्या पर और नागरिको के प्रश्नों पर जवाब देनेवाले थे लेकिन देखते ही देखते यह वैचारिक कार्यक्रम बाजू में हो गया और मामला हाथापाई, मारपीट गालीगलौच और कुर्सिया तोड़ने तक पहुंच गया. इस कार्यक्रम में विकास कुंभारे की तरफ से नगरसेवक दयाशंकर तिवारी, नगरसेवक बंटी शेलके, वंचित बहुजन आघाडी के कमलेश भागवतकर और रमेश पुणेकर मंच पर मौजूद थे. इनसे बातचीत पत्रकार संजय मीरे कर रहे थे.
प्रश्न की शुरुवात बंटी शेलके से हुई. उनसे कुछ प्रश्न पूछे गए, मौजूद नागरिकों की ओर से भी प्रश्न पूछे गए. कुछ देर बाद इसका जवाब देने के लिए दयाशंकर तिवारी की बारी आयी तो बंटी शेलके व्यवस्तता को लेकर जाने लगे. जिसके बाद दयाशंकर तिवारी चीड़ गए और जानकारी के अनुसार उन्होंने पत्रकार मिरे को तमाचा जड़ने की कोशिश की. यह ‘ स्क्रिप्ट तूने प्लान की है क्या ‘. ऐसा तिवारी ने पत्रकार मिरे से कहा. जिसके बाद माहौल काफी खराब हो गया. तिवारी और शेलके के समर्थको के बीच गालीगलौज तक बात पहुंच गई और इस दौरान कार्यकर्ताओ ने कुर्सियां भी तोड़ दी. तिवारी ने माइक भी फेक दिया .
इस समय मौजूद एक पत्रकार ने विडिओ शूट किया था. लेकिन मौजूद समर्थको ने महिला से मोबाइल माँगा और मोबाइल से विडिओ और फोटो डिलीट कर दिए. इस पुरे मामले में जिस पत्रकार से बदसलूकी हुई है वह काफी दहशत में है.
इस दौरान पत्रकार संजय मिरे ने बताया की सभी को अपनी बात रखने का मौका दिया गया था. लेकिन ग़लतफ़हमी के कारण यह सब हुआ है. इस घटना के बाद वे काफी आहत है.
इस मामले में शहर के पुलिस आयुक्त डॉ. भूषण कुमार उपाध्याय ने कहा की इस तरह से जो आयोजन बिना अनुमति के किए जाते है उनके आयोजकों पर कार्रवाई की जाएगी . किसी तरह की कोई भी शिकायत आनेपर वे किसी भी पार्टी से रहे उनपर कार्रवाई कानून के अनुसार की जाएगी .
हमारी बात :
एक गरीब और ईमानदार पत्रकार जो छोटे मोठे मिडिया में काम करता है. उसके साथ कोई नहीं है और अगर यही किसी बड़े मीडिया हाउस के पत्रकार और लॉबी के पत्रकार के साथ हुआ होता। तो यह कितना माहौल खड़ा करते।
नागपुर के पत्रकारों की चुप्पी बहुत कुछ बयान करती है। सब खामोश है।