नागपुर – न्यायपालिका की स्वयत्ता को लेकर दिए गए बयानों को लेकर चर्चा में बने हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जस्टिस चेलमेश्वर के मुताबिक अगर मै चाहता हूँ की मेरी अगली पीढ़ी गर्व से जिए तो जरुरी है की न्यायपालिका की स्वतंत्रता बनी है।
न्यायपालिका की रक्षा करना हर किसी की ज़िम्मेदारी है। इतिहास गवाह है जब भी किसी के हाँथ में सत्ता आयी है उसने जनसमस्याओं को तरजीह नहीं दी है। आपके पास भले ही क़ानून कितना भी अच्छा हो लेकिन जब तक सरकार उसे लागू नहीं करेगी जनता को इसका फ़ायदा नहीं होगा। आवश्यकता है क़ानून क्षेत्र से जुड़े लोग एक साथ इस समस्या का समाधान खोजें।
न्यायपालिका की स्वतंत्रता बहुत जरुरी है। देश में अपराध सिद्ध होने का प्रतिशत महज पांच फ़ीसदी है जिसकी सबसे बड़ी वजह केस की जाँच का तरीका है। के की पड़ताल के लिए एक्सपर्ट एजेंसी हमारे पास नहीं है। पुलिस को ही जाँच पड़ताल का काम करना पड़ता है जिसकी कोई खास ट्रेनिंग की व्यवस्था नहीं है। बीते 70 वर्षो में इस तरह की व्यवस्था देश में ईजाद ही नहीं हो पायी। फ़िलहाल के दौर के वकील पैसे कमाने और चुनावी राजनीति में व्यस्त है। वर्तमान दौर में पब्लिक प्रोसिक्यूटर की तैयारियाँ नहीं होती जिसका असर केस पर होता है। जज चेलमेश्वर नागपुर हाईकोर्ट बार असोसिएशन द्वारा आयोजित एडवोकेट एन एल बेलेकर की स्मृति में आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम में बतौर वक्त आमंत्रित थे। जज चेलमेश्वर ने रूल ऑफ़ लॉ एंड रोल ऑफ़ बार विषय पर अपनी बात रखी।
जज चेलमेश्वर ने बार के रोल पर अपनी बात रखते हुए कहाँ की किसी भी प्रणाली की सफलत उसके क्रियान्वयन पर निर्भर करती है। कागज पर कानून का कोई मतलब नहीं होगा अगर उसे सफलता पूर्वक क्रियान्वयित नहीं किया गया। हमें जानकारी है की ईडी या अन्य किसी जाँच एजेंसी का इस्तेमाल किस तरह किया जाता है। अभियोजन पक्ष द्वारा मामले को अदालत में रखने की गुणवत्ता ने सुधार की आवश्यकता है। कानून के क्षेत्र में सुधार की गुंजाईश होने के बावजूद प्रयास नहीं हो रहे है जिससे विश्वास को ठेस पहुँच रही है। सरकार अगर न्यायपालिका पर हस्तक्षेप कर रही है तो इस पेशे से जुड़े लोगो को आत्मनिरीक्षण करने की आवश्यकता है। न्यायपालिका की स्वतंत्रता संविधान में समाहित है। अक्सर सरकारों द्वारा इस पर नियंत्रण का प्रयास भी होता है। न्यापालिका सरकार की समीक्षा करती है इसमें बार की भूमिका बढ़ जाती है।