नागपुर: बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( RSS) के मुख्यालय में बुधवार को संघ प्रमुख मोहन भागवत और संघ में नंबर दो यानी संघ महासचिव भैयाजी जोशी के साथ करीब चार घंटे की मैराथन बैठक की. इस दौरान उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष और संघ पदाधिकारियों के बीच कर्नाटक विधानसभा चुनाव के साथ ही इस साल के आखिर में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनावों पर भी चर्चा की. इसके अलावा शाह ने SC/ST एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर भी विचार-विमर्श किया.
आरएसएस मुख्यालय में शाह दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर पहुंचे और वहां से शाम चार बजकर 40 मिनट पर निकले. कर्नाटक विधानसभा चुनाव में अंतिम पड़ाव से पहले बुधवार को बैठक में अमित शाह ने संघ प्रमुख मोहन भागवत और भैय्याजी जोशी को कर्नाटक चुनाव का फीडबैक दिया. साथ ही इस बात पर चर्चा की कि कर्नाटक में संघ से जुड़े वे संगठन बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने में कैसे मदद कर सकते हैं, जिनका सूबे में जमीनी स्तर पर प्रभाव है? इससे बीजेपी को कर्नाटक फतह करने में काफी मदद मिलेगी.
सूत्रों की मानें तो प्रवीण तोगड़िया के बाहर जाने के बाद विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) न सिर्फ कर्नाटक, बल्कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में अपने हिंदुत्व के एजेंडे के तहत बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने का काम करेगी. इसके साथ ही संघ के प्रचारक और स्वयंसेवक दलितों के गांवों में जाकर मोदी सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई पुनर्विचार याचिका के बारे में बताएंगे.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह इस बात को भलीभांति जानते हैं कि कर्नाटक में संघ और उसके संगठनों की जमीनी स्तर पर पकड़ अच्छी है, लेकिन पिछले कुछ दिनों में बीजेपी ने कुछ ऐसे फैसले लिए हैं, जो संघ के जमीनी स्वयंसेवकों के नज़रिए से ठीक फैसले नहीं हैं. इनमें बेल्लारी में रेड्डी बंधुओं के कहने पर टिकट देने जैसे कई फैसले शामिल हैं, जिन पर अमित शाह ने मोहन भागवत और भैय्याजी जोशी को बताया कि चुनावी समीकरणों के हिसाब से ये फैसले लेना क्यों बेहद जरूरी थे.
बुधवार को केंद्रीय मंत्री और बीजेपी की फायर ब्रांड नेता उमा भारती और वीएचपी के नवनियुक्त अध्यक्ष विष्णु सदाशिव कोकजे ने भी संघ प्रमुख मोहन भागवत और भैय्याजी जोशी से मुलाकात की. मालूम हो कि अमित शाह और मोहन भागवत के बीच पिछले दो महीने में ये तीसरी बैठक है, जिसमें दोनों ने घंटों बातचीत की. इन मुलाकातों से साफ हैं कि बीजेपी को चुनाव जीतने के लिए जमीनी स्तर पर संघ की सहायता की कितनी जरूरत है.