नागपुर। शालेय पोषण आहार योजना के अंतर्गत विद्यार्थियों को दिया जाने वाला भोजन भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) का ब्रांडेड फ़ूड होना अनिवार्य है। पोषण आहार के परिवहन के लिए ‘ट्रैकिंग सिस्टम’ भी स्थापित किया गया है। क्या इसके बावजूद विद्यालयों में पोषाहार की आपूर्ति में कोई अनौचित्य हो रहा है? स्कूल शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने विधानसभा में इस मुद्दे पर आश्वासन देते हुए कहा कि हम इसका सत्यापन करेंगे और यह भी विचार करेंगे कि शालेय पोषण आहार योजना के तहत भोजन की आपूर्ति में और क्या सुधार लाए जा सकते हैं।
नेता प्रतिपक्ष अजीत पवार ने बुधवार को सदन में शालेय पोषण आहार योजना के तहत सोलापुर जिले सहित पूरे महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार होने की बात कही। इसके जवाब में केसरकर स्पष्टीकरण देते हुए बोल रहे थे।
पवार ने कहा स्कूलों में पोषाहार के खाद्य निरीक्षण की व्यवस्था बहुत ही अप्रभावी है। इसलिए सरकार को एक सक्षम जांच प्रणाली बनानी चाहिए। राज्य में आपूर्ति प्रणाली भ्रष्ट अधिकारियों और ठेकेदारों से भरी हुई है। यही इन त्रुटियों का मुख्य कारण है। इस मामले में एक जांच समिति नियुक्त की जानी चाहिए, और क्या सरकार इस समिति के माध्यम से इस गबन को रोकने के लिए संबंधितों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी? इस आशय के प्रश्न नेता प्रतिपक्ष अजित पवार ने सदन के समक्ष पेश किए।
विपक्ष द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण बिंदु:
1. कई बार शालेय पोषण आहार योजना के तहत ठेकेदारों से खरीदे गए अच्छी गुणवत्ता वाले खाद्यान्न को खुले बाजार में बेचा जा रहा है और इसके बदले मिलावटी खाद्यान्न स्कूली विद्यार्थियों को दिया जा रहा है।
2. सरकार द्वारा निर्धारित अनाज दरों से अधिक कीमत पर ठेकेदारों से अनाज खरीदा जाता है। इसमें बड़े पैमाने पर सरकारी धन का गबन किया जा रहा है।