Published On : Wed, Oct 10th, 2018

23 अक्टूबर को किसानों के साथ कांग्रेस सरकार को घेरेगी

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नागपुर – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की आलोचना कर बीजेपी को राम-राम करने वाले भंडारा-गोंदिया के पूर्व सांसद नाना पटोले इसी महीने की 23 तारीख को देश की राजधानी में हुंकार भरेंगे। बीजेपी को छोड़ने के बाद और कांग्रेस में शामिल होने के बाद यह पहला मौका होगा जब पटोले एक तरह से अपनी शक्ति का प्रदर्शन करेंगे। कांग्रेस की किसान इकाई किसान व खेत मजदुर प्रकोष्ठ के अध्यक्ष बनाये जाने के बाद यह पहला मौका होगा जब नाना के नेतृत्व में कोई आंदोलन होगा। इस प्रदर्शन के माध्यम से नाना अपनी पूर्व और वर्त्तमान दोनों पार्टियों को अपनी ताकत का एहसास कराएंगे। इस प्रदर्शन के लिए नाना ने देश की राजधानी नई दिल्ली का चयन किया है। नाना के मुताबिक उनके आंदोलन का मक़सद सोई और उदासीन सरकार को जगाना है।

बीजेपी में रहते हुए भी नाना अन्य मुद्दों के साथ किसानों की समस्या को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर लगातार हमला करते रहे है। बीजेपी के ओबीसी सांसदों के साथ मोदी की बैठक में नाना द्वारा उठाये गए सवाल को प्रधानमंत्री ने दकिनार किया जिससे वो आहत थे। बाद में उन्होंने न केवल लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफ़ा दिया बल्कि कांग्रेस का दामन थाम लिया। कांग्रेस में पार्टी अध्यक्ष राहुल गाँधी ने उन्हें अहम जिम्मेदारी दी। इस जिम्मेदारी के मिलने के बाद नाना अपना पहला आंदोलन कर रहे है। यह आंदोलन आगामी 23 अक्टूबर को संसद का घेराव करेगा। नाना ने बीजेपी के खाते वाली भंडारा-गोंदिया संसदीय सीट से राष्ट्रवादी पार्टी के उम्मीदवार मधुकर कुकड़े को जितने में अहम रोल अदा किया। इस सीट पर हुआ उपचुनाव मोदी के साथ ही राज्य के मुख्यमंत्री फडणवीस के लिए भी नाक का सवाल था। जिसमे दोनों को हराकर नाना ने जीत दर्ज की थी।

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इस आंदोलन की पृष्ठभूमि में देश के किसान और उनकी माँगे होंगी। दो अक्टूबर को गाँधी जयंती दिन पुलिस ने किसानों पर लाठियाँ भांजी थी। जिसको लेकर किसान वर्ग सरकार से ख़ासा नाराज़ चल रहा है। इस प्रदर्शन के माध्यम से एक बार फिर किसान सरकार के सामने होंगे।

बीजेपी के ओबीसी कार्ड पर कांग्रेस का ओबीसी कार्ड

दरअसल कांग्रेस में नाना पटोले को तरजीह मिलने का एक बड़ा कारण ओबीसी समाज को लेकर देश में इस दिनों हो रही राजनीति है। देश के इतिहास में ये पहली बार हुआ जब सत्तासीन पार्टी के अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री किस समाज से आते है इसका बाक़ायदा जिक्र करते हुए ओबीसी वोटों को अपने से जोड़ने का प्रयास किया हो। नाना पटोले खुद ओबीसी समाज से आते है और लंबे वक्त से ओबीसी के प्रश्नो को उठाते रहे है। किसानों का बड़ा वर्ग ओबीसी समाज से ही आता है। नाना का जिस मीटिंग में मोदी से विवाद हुआ था। उसमे उन्होंने ओबीसी समाज का सवाल उठाते हुए प्रधानमंत्री को ओबीसी मंत्रालय के बीजेपी के पुराने वादे को याद दिलाया था। मोदी से हुए इस वार्तलाप को नागपुर में एक सभा के दौरान सार्वजनिक करते हुए नाना ने कहाँ था कि एक सांसद द्वारा सवाल पूछने पर देश का प्रधानमंत्री बेज्ज़ती करता है। नाना की बीजेपी से नाराजगी की असल वजह प्रधानमंत्री द्वारा किया गया व्यवहार है। बीजेपी ओबीसी समाज को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए अपनी राजनीति कर रही है जबकि कांग्रेस नाना पटोले को आगे ऱखकर बीजेपी पर निशाना साध रही है।

किसानों के सवालों को सुलझाने में सरकार विफल

नाना पटोले के मुताबिक बीजेपी किसानों की समस्या को सुलझाने असफ़ल रही है। केंद्र और राज्य सरकार ने जो भी वादे किये वो पुरे नहीं हुए है। किसानों की हालत ठीक नहीं है ऐसे में उनकी फसलों को उचित समर्थन मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है। सरकार अपना हक़ माँग रहे किसानों पर गोलियां चला रही है। राज्य में किसान लगातार आत्महत्या कर रहे है।

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