नागपुर: किशोर चौधरी अन्ना हज़ारे को छोड़कर भाजपा से जुड़े, उनकी नीति पर चल नहीं पाए तो एनसीपी का दामन थाम लिया. सूत्रों की मानें तो जब इनके नेताओं ने प्रस्थापित पार्टियों के खिलाफ लड़ने में साथ नहीं दिया तो अंत में थक हार कर वे कांग्रेस के स्थानीय नेता सुनील केदार से हाथ मिलाने को मजबूर हो गए. सावनेर विधानसभा में कांग्रेस की धुरी संभालने वाले तथाकथित कांग्रेसी नेता ने जोश-जोश में आगामी चुनाव में अपने पक्ष को मजबूती प्रदान करते हुए उक्त नेता को आगामी वर्ष होने वाले जिलापरिषद चुनाव में स्थानीय जिप सर्कल से कांग्रेस उम्मीदवारी देने का ठोस आश्वासन दिया था.
इन दिनों उक्त समझौते के बाद स्थानीय नाराज एनसीपी,वर्तमान कांग्रेस व प्रतिस्पर्धी भाजपा कार्यकर्ताओं में गर्मागर्म चर्चा का विषय बना हुआ है. चर्चा यह थी कि कम से कम दहेगांव रंगारी परिसर में सबसे सक्रिय किशोर ही हैं. इसकी सक्रियता से पिछले एक दशक से सभी पस्त हो गए थे.
सबसे पहले अन्ना हज़ारे ने किशोर को अलग-थलग छोड़ा, फिर भाजपा में शामिल हुए. भाजपा टिकट पर पंचायत समिति चुन कर आए. नेताओं के सपनों के प्रकल्प को रोक किसानों के हित के लिए आंदोलन किया तो चेताए गए. भाजपा क्या कोई भी पार्टी में टिकने नहीं दूंगा। भाजपा से दूर होने के बाद एनसीपी से जुड़े और एनसीपी का प्रभाव सावनेर विस में फैलाना शुरू किया. इस क्रम में दहेगांव रंगारी ग्रामपंचायत में प्रस्थापित कांग्रेस की सत्ताधारी से सामना करते हुए चुनाव में एकतरफा जीत हासिल की. इस जोश में एनसीपी के बैनर तले प्रस्थापित कोंग्रेसियों की नाक में दम कर दिया. राष्ट्रीय महामार्ग निर्माण के दौरान तात्कालीन केंद्रीय मंत्री की तो पुतले ही नहीं फूंके गए बल्कि अंतिम यात्रा निकालकर तेरहवीं भी मनाएं.
वर्ष २०१४ के गत विधानसभा चुनाव में कोई खास उपलब्धि हासिल नहीं कर पाए लेकिन प्रस्थापित कांग्रेसी को तकलीफ में जरूर ला दिए थे. अगर और थोड़ा मत (५ आंकड़ों में) ले लिए होते तो सावनेर विधानसभा से पहली मर्तबा सेना का विधायक नज़र आया होता. इसके बाद वर्तमान पालकमंत्री को कहीं का नहीं छोड़ा फिर उन्होंने भी सत्ता का इस्तेमाल करते हुए आज इस हालात पर किशोर को पहुंचा दिया कि उन्हें सक्षम नेता और उसके सक्षम पक्ष से हाथ मिलाने की नौबत आन पड़ी.
तय समझौते के हिसाब से अगले वर्ष जिलापरिषद चुनाव में वलनी सर्कल से कांग्रेस की उम्मीदवारी किशोर को देने का वादा किया गया हैं. इस वादे को पूरा करने में सफल रहे तो आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के तथाकथित उम्मीदवार को बड़ी मददगार साबित हो सकती है. इस दूरी ने पिछले एक दशक से कांग्रेसी नेताओं को बहुत कुछ सोचने पर मजबूर किया लेकिन किशोर को रोकने में असफल रहे. अगर सबकुछ सही रहा तो भाजपा से जिप चुनाव लड़ने के इच्छुक व्यवसायी अरुण कुमार सिंह से सामना हो सकता हैं.