कोराडी/Koradi(नागपुर)। दसवी, बारहवी पास होने के बाद कोई आय.टी.आय, आय.टी, इंजिनीअरिंग, कृषि क्षेत्र, वाणिज्य क्षेत्र, संगणक, मत्स्य व्यवसाय की पढ़ाई करते है उसके बावजूद भी इन बेरोजगारों को रोजगार नही मिल रहा. नागपुर जिले में एम.आय. डी.सी., कृषि उत्पन्न बाजार समिती, मिहान, बड़ी-बड़ी कंपनिया, पॉवर प्लांट उद्योग होकर भी बेरोजगारों को रोजगार नही मिलता. अनेक स्कूलों से लाखों-करोड़ों संस्थाओं से विद्यार्थी शिक्षा लेकर पास होते है. गरीबों के बेटों को साथ देने वाला कोई नही रहता जिससे वो पीछे रहते है. जिनकी पहचान है वो सेटिंग और हाथ पर वजन रखकर नौकरी पर लगता है.
गरीब अभिभावकों के बच्चों के पास गुणवत्ता होती है. कर्ज लेकर अभिभावक बच्चों की शिक्षा पर खर्च करते है. बच्चे अपने पैरो पर खड़े हो ऐसी उनकी धारणा रहती है. नौकरी के पिछे भागते-भागते उम्र ख़त्म होती है.
85 प्रतिशत स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार मिले
बड़े-बड़े उद्योग शहर से सटीक होने से भी स्थानियों को इसका फायदा नहीं होता. परप्रांतियों को नौकरी मिलती है और प्रांतवाद जैसी भावना बढ़ती है. लोकप्रतिनिधी ने बेरोजगारों का कौशल निखारकर तांत्रिक कौशल्य प्राप्त बच्चों को रोजगार उपलब्ध करके दे. जिससे स्थानीय युवकों को रोजगार मिलेगा और वो रोजगार के लिए बाहर न जाये.
दसवी, बारहवी के बाद छात्र शिक्षा शुरू रखकर स्टाफ सिलेक्शन, रेलवे,बैंकिंग, कृषि क्षेत्र में जो नौकरी मिले वो नौकरी करे. नौकरी के साथ ही शिक्षा शुरू रखे. जिससे जीवन सुखी होने में मदद होगी. कितने भी बार कुछ छात्र फेल होते है और आत्मक्लेष निर्माण होकर अपना मार्ग बदलते है.
स्टडी सर्कल के माध्यम से करिअर बनाये
जिद से पढाई करे तो सफलता जरूर मिलेगी. तज्ञ शिक्षकों ने दिए नोट्स, डेली न्यूज पेपर, रोज समाचार, इवेंट कॉम्पिटेटीव्ह रिव्हीव आदि मासिकों का योग्य पठन करे. जिससे सफलता मिलेगी. ये सभी बाते शहर में उपलब्ध होती है. गांवों में गरीब के बच्चे दसवी-बारहवी के बाद आय.टी.आय को पसंद करते है और नौकरी के पिछे लगते है. स्थानीय कंपनियों ने रोजगार दिया तो बेरोजगार शहर की ओर नही जायेगे.