नागपुर: मनपा में सूचना के अधिकार के तहत ली गई जानकारी के आधार पर वरिष्ठ पार्षद संदीप सहारे द्वारा उजागर किए गए एलईडी बल्ब की खरीदी के भ्रष्टाचार को लेकर समाचार पत्रों में छपी खबर और इसी आधार पर अन्य याचिकाकर्ता की ओर से जनहित याचिका दायर की गई. दोनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई के दौरान अदालत का मानना था कि मामले की सुनवाई के लिए कम्पनी द्वारा प्रेषित किए गए टेंडर की जानकारी उजागर होना उपयुक्त होगा.
जिस पर मनपा की ओर से बताया गया कि टेंडर की सम्पूर्ण जानकारी आनलाइन उपलब्ध है, जिसकी हार्ड कापी प्राप्त करने के लिए डाउनलोड कर प्रिंट लेना होगा. सुनवाई के बाद न्यायाधीश भूषण धर्माधिकारी और न्यायाधीश मुरलीधर गिरटकर ने 27 अगस्त तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. शशिभूषण वाहाने, अदालत मित्र के रूप में अधि. गुप्ता, मनपा की ओर से वरिष्ठ अधि. सी.एस. कप्तान एवं प्रतिवादी कम्पनी की ओर से वरिष्ठ अधि. एम.जी. भांगडे ने पैरवी की.
अदालत को गलत जानकारी
गुरुवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अभियान बाराहाते की ओर से अतिरिक्त हलफनामा प्रस्तुत किया गया, जिसमें अदालत के समक्ष गलत जानकारी प्रस्तुत किए जाने का खुलासा किया गया. याचिकाकर्ता की ओर से दायर किए गए अतिरिक्त हलफनामा पर आपत्ति दर्ज करते हुए कम्पनी की ओर से पैरवी कर रहे अधि.
भांगडे का मानना था कि अदालत की ओर से अनुमति लिए बिना इस समय दस्तावेजों के साथ अतिरिक्त हलफनामा पेश नहीं किया जा सकता है. जिस पर अदालत का मानना था कि चूंकि याचिका में दी गई चुनौतियों को हाईकोर्ट की ओर से जनहित के रूप में देखा जा रहा है. अत: याचिकाकर्ता की ओर से हाईकोर्ट बार एसोसिएशन को 1 हजार रु. अदा करने के बाद अतिरिक्त हलफनामा दायर करने की स्वीकृति प्रदान की गई.
80 प्रतिशत अधिक दरों में ठेका
विशेषत: 80 प्रतिशत अधिक दरों पर 1.38 लाख पथदीप खरीदी करने का निर्णय लिया गया था, जिसमें लगभग 100 करोड़ का भ्रष्टाचार होने का संदेह जताया गया था. समाचार पत्रों में छपी खबरों पर हाईकोर्ट द्वारा लिए गए संज्ञान और इसी संदर्भ में दायर की गई अन्य याचिका के अनुसार 100 वाट्स के एलईडी फ्लड लाइट बल्ब बाजार में 3400 रु. में उपलब्ध हैं, जबकि मनपा की ओर से इसे 9900 रु. में खरीदी करने का निर्णय लिया है, जिसके लिए स्थायी समिति के समक्ष विभाग की ओर से प्रस्ताव रखा गया था. हालांकि स्थायी समिति में कुछ सदस्यों ने भी इसे लेकर आपत्ति जताई थी, इसके बावजूद स्थायी समिति ने प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की थी.