कर्जमुक्ति के पात्र किसानों को भी बैंक नहीं दे रही छूट
नागपुर: महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी ( किसान व् खेतमजदूर ) विभाग के उपाध्यक्ष संदीप अग्रवाल ने खुलासा किया है की कर्जमुक्ति की जो रकम सरकार ने बैंको को भेजी है, उसमे बड़ा गोलमाल शुरू है. अग्रवाल ने बताया की हाल ही में उनके सामने एक मामला आया है जो बहोत ही हैरान करनेवाला है. भेंडाला निवासी किसान संजय देवराव लुटे ने बैंक ऑफ़ बड़ोदा मौदा ब्रांच से 2015 में 1,50,000 रुपए कर्ज लिया था. उसके बाद वे कर्ज नहीं भर पाए. उसके बाद उन्होंने साल 2016 में अपने कर्ज को पुनर्गठित कर उसे 1,50,000 रुपए से बढ़ाया, लुटे का कर्ज अब 3,00,000 रुपए हो गया. सरकारी कर्जमुक्ति पात्रता के अनुसार किसान लुटे को सरकार ने 1,50,000 रुपए का कर्ज माफ़ किया तथा लाभार्थी सूचि में उनका नाम ग्रामपंचायत में भेजा यह कर्ज 2017 में माफ़ हुआ.लेकिन बैंक ऑफ़ बड़ोदा ने उनके खाते में रकम जमा नहीं की. महीनों चक्कर लगाने के बाद भी किसान लुटे को बैंक कर्मचारी टालते रहे. जब मई 2019 में भेंडाला ग्रामपंचायत में पात्रता प्राप्त किसानो की सूचि आयी तब उन्हें पता चला की सरकार ने उनका कर्ज 1,50,000 रुपए माफ़ कर दिया है.
जब लुटे बैंक ऑफ़ बड़ोदा गए तो शाखा प्रबंधक ने उन्हें बताया की आप पर तक़रीबन 1,80,000 रूपया बाकी है तो लुटे को लगा की 3 लाख रुपए में से 1,50,000 माफ़ होने के बाद अब ब्याज समेत 1,80,000 हो गए होंगे. उन्होंने तुरंत 1,80,000 रुपए खाते में भर दिए तथा एक दो दिन बाद वे बैंक में अपना ‘ नो डिव सर्टिफिकेट ‘ लेने पहुंचे तो शाखा प्रबंधक ने बताया की उनकी कर्ज माफ़ी की रकम अब तक नहीं आयी है और उन्हें अगर’ ‘ नो डिव सर्टिफिकेट ‘ चाहिए तो 1,50,000 भरने होंगे. लुटे ने इसके बाद तुरंत किसान व् खेतमजदूर के जिला अध्यक्ष लक्ष्मणराव मल्लिपड्डी से संपर्क किया. उन्होंने तुरंत सहायक निबंधक सहकारी संस्था मौदा के कार्यालय में संपर्क किया वहां भी उन्होंने बताया की किसान लुटे का 1,50,000 रुपए की कर्ज माफ़ी सरकार ने की है तथा उन्हें अपना पत्र बैंक के नाम दिया. उसके बावजूद भी बैंक अधिकारी अपनी रंगदारी पर कायम थे. बैंक स्टेटमेंट मांगने पर साफ़ मना कर दिया.
5 जुलाई 2019 को पीड़ित किसान नागपुर में आए और संदीप अग्रवाल से मिले. उसके बाद अग्रवाल ने बैंक ऑफ़ बड़ोदा के डिप्टी जनरल मैनेजर साईबाबू से संपर्क किया. साईबाबू ने बैंक में कर्ज का कार्य देख रहे अधिकारियों से बात करवाई. जब वहां लुटे के अकाउंट चेक किए गए तो पता चला की 1,50,000 रुपए की रकम 2017 में ही माफ़ हो गई थी. लेकिन बैंक अधिकारियों ने जानभूझकर उसे लाभार्थी के खाते में जमा नहीं किया. जब सारी बात सामने आयी तो गावंडे ने कहा की एक दो दिन के अंदर इसे जाम करके आपको ‘ नो डिव सर्टिफिकेट ‘ दिया जाएगा.
अग्रवाल ने आरोप लगाया है की यह एक गंभीर विषय है. सरकार द्वारा दी जा रही रियायते किसानों तक पहुँचाना बैंक की जिम्मेदारी है. लेकिन बैंक इस तरह से किसानों को गुमराह कर रही है.यह तो एक मामला सामने आया है. अगर इसकी जांच की जाए तो बैंको द्वारा किए जा रहे घोटाले के कई मामले सामने आ सकते है.अग्रवाल ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मांग की है कि पुरे महाराष्ट्र में इसकी जांच करवाकर लाभार्थियों को कर्जमुक्ति का लाभ दिलाएं.
उन्होंने क्षेत्रों के किसानों से भी निवेदन किया है कि वे अपनी अपनी ग्रामपंचायतों में कर्जमाफी के लाभार्थियों की लिस्ट चेक करे और उसमे नाम रहने के बाद भी कर्ज माफ़ी का लाभ ना मिला हो तो जिला अध्यक्ष लक्ष्मणराव मल्लिपड्डी से संपर्क करे.