- प्रधानमंत्री निधी हुई गायब!
- क्या मोदी सरकार दिला पायेगी न्याय?
- पिडीत की गुहार ?
संवाददाता / रशीद फाजलाणी
सारखनी (नांदेड़)। 26/11/2008 हमारे देश पर सबसे बडा आतंकी हमला. हम यह काला दिन कभी नही भुल सकते. इस हमले का आरोपी अजमल कसाब को फांसी देकर कांग्रेस सरकार ने अपना फर्ज अदा किया. पर इस हमले मे जख्मी हुए लोगो को अभीतक न्याय नही मिल पाया है. इसका जिम्मेदार कौन है? आइये हम आपको दिखाते है कि महाराष्ट्र के हिंगोली जिले के वसमत तहसील के माधव दत्ता पेठकर कि दर्दभरी कहानी जो आज भी सरकारी उपेक्षा के शीकार है और वह मोदी सरकार से उम्मीद कि गुहार लगा रहे है.
महाराष्ट्र के हिंगोली जिले के वसमत तहसील के एक झोपडपट्टी मे रहनेवाले माधव दत्ता पेठकर ने मुंबई मे हुये 26/11/ के हमले को काफी करीब से देखा है. माधव पेठकर यह मुंबई से अपने गांव वसमत तहसील को लौट ने के लिए जब सि.एस.टी. रेल्वे स्टेशन पर देवगीरी एक्सप्रेस ट्रेन का इंतजार करते खडे थे. उसी दौरान अचानक गोलीबारी शुरु हो गई और कुछ ही समय मे माधव दत्ता पेठकर को आतंकियो की गोली छुते हुये पेट के आर पार हो गई. तब उन्हे गंभीर आवस्था मे जे.जे.अस्पताल मे भर्ती कराया गया था. जब ईलाज के दौरान महाराष्ट्र सरकार की ओर से 50 हजार और रेल्वे विभाग की ओर से 50 हजार रुपयों की मदद दी गई थी. जिसके बाद प्रधानमंत्री सहायता निधी में से पिडीत को एक लाख रुपये दिए जाने वाले है यह जानकारी मिली तब माधव पेठकर को आशा की किरने नजर आई और उन्होने हिंगोली जिलाधीकारी कार्यालय और प्रधानमंत्री कार्यालय मे सभी दस्तावेज जमा किये. आज ईस घटना को पांच साल बित गए लेकिन अभी तक ईस पिडीत परिवार के पास प्रधानमंत्री सहायता निधी नही पहुंच पाई है. यह एक पिडीत परिवार के साथ जले पर नमक छिडकने का काम कांग्रेस की सरकार ने किया है.
गौरतलब है कि, पिडीत परिवार ने पुर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हान और हिंगोली के कांग्रेस के सांसद राजीव सातव समेत कई नेताओं के पास जाकर न्याय की गुहार लगाई थी और उन्होने हर बार की तरह पिडीत के दामन मे आश्वासन की पुटली थमा दी. माधव पेठकर जब 8 वर्ष के थे तब उनके माता पिता का निधन हो गया था. तबसे वह अपने मामा और मामी के पास रहकर जिंदगी गुजार रहे है. फिलहाल वह खेतों मे मजदुरी करके अपने मामा, मामी समेंत अपना पेट भर रहे है. माधव मोदी सरकार से उम्मीद लगाकर सरकारी नौकरी या अधर मे लटकी मुआवजे की राशी देने की मांग कर रहे है. आंखों मे आंसु लिए पिडीत दरदर की ठोकरे खा रहा है. पर हमारे नेताओं को उनकी गंभीर समस्या क्यो नही समज आती यह समझपाना मुश्कील है.