नागपुर– महाराष्ट्र में चुनावी नतीजों के 12 दिन बाद सरकार को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है. महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना गठबंधन को बहुमत मिला है लेकिन चुनाव नतीजे आने के बाद से शिवसेना फिफ्टी-फिफ्टी के फॉर्मूले की रट लगाई हुई है. शिवसेना का कहना 50-50 के प्रस्ताव पर ही बात होगी, इसके अलावा किसी पर नहीं.
शिवसेना मुख्यमंत्री पद को लेकर अड़ गई हैं वहीं बीजेपी खेमे से खबर है कि वो सीएम पद छोड़ कर किसी भी मुद्दे पर बात कर करने को तैयार है. शिवसेना नेता संजय राउत ने आज भी कहा कि जो पहले तय हुआ था उसी पर आगे बढ़ेंगे. बीजेपी-शिवसेना में खींचतान के बीच विधानसभा का कार्यकाल 8 नवंबर को खत्म हो रहा है, मतलब 9 नवंबर तक सरकार बन जानी चाहिए.
संजय राउत ने कहा, ”बीजेपी और शिवसेना के बीच शुरुआत से एक लाइन का ही प्रस्ताव तय था. चुनाव से पहले गठबंधन की जब चर्चा हो रही थी तब यही हुआ था. उस वक्त जो बात तय हुआ था वो यही प्रस्ताव है. इसलिए नया प्रस्ताव लाने में टाइम क्यों खराब करना. जो पहले तय हुआ था उसी पर आगे बढ़ेंगे.”
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और संघ प्रमुख मोहन भागवत की मुलाकात की है. माना जा रहा है कि मुलाकात राज्य में सरकार बनाने को लेकर हुई है.फिलहाल बीजेपी और शिवसेना के बीच सरकार बनाने को लेकर बातचीत रुकी हुई है. जिसकी वजह से सरकार बनाने का फार्मूला अंतिम रूप नहीं ले पा रहा है. माना जा रहा है देवेंद्र फडणवीस ने संघ प्रमुख से मुलाकात कर शिवसेना और बीजेपी के बीच चल रही स्थिति के बारे में चर्चा की है और संभवतया मध्यस्थता करने की गुजारिश की है.
सूत्रों के हवाले से खबर है कि बीजेपी शिवसेना को कुछ और मंत्रालय देने को तैयार हो गई है. बीजेपी ने 16 मंत्रालय देने पर सहमति जता दी है लेकिन शिवसेना सरकार में 17 मंत्री चाहती है. इसके साथ ही मामला ‘मलाईदार’ मंत्रालयों को लेकर अटका हुआ है. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी शिवसेना को राजस्व मंत्रालय देने को तैयार हो गई है लेकिन सरकार बनाने का असली फॉर्मूला क्या होगा जिस पर दोनों की सहमति होगी ये अभी सामने नहीं आया है. बीजेपी-शिवसेना में खींचतान के बीच विधानसभा का कार्यकाल 8 नवंबर को खत्म हो रहा है, मतलब 9 नवंबर तक सरकार बन जानी चाहिए.