Published On : Tue, May 29th, 2018

महात्मा गाँधी, आंबेडकर, जयप्रकाश के साथ कई नामी हस्तियाँ जा चुकी है संघ के कार्यक्रमों में

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नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति डॉ प्रणब मुख़र्जी उपस्थित रहेंगे इस ख़बर ने राजनीतिक गलियारें में हड़कंप मचा दिया है। मुख़र्जी द्वारा उपस्थिति को लेकर अपनी हामी देने के बाद संघ द्वारा निमंत्रण पत्रिका छापी जा चुकी है यानि तय है नागपुर के रेशमबाग मैदान में आयोजित होने वाले स्वयंसेवकों के संघ शिक्षा वर्ग – तृतीय वर्ष समापन समारोह के अवसर पर प्रमुख उपस्थिति के रूप में देश के पूर्व राष्ट्रपति मौजूद होंगे। इतना ही नहीं उनके द्वारा स्वयंसेवकों को संबोधित भी किया जायेगा।

कभी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे मुख़र्जी के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत के साथ मंच साझा करने की ख़बर को संघ की विचारधारा के विरोधी राजनीतिक दल पचा नहीं पा रहे है लेकिन संघ में ऐसा होना एक सामान्य घटना की ही तरह देखा जा रहा है। ये पहला मौका नहीं होगा जब किसी अन्य विचारधारा से प्रेरित कोई व्यक्ति या राजनेता संघ के किसी कार्यक्रम में हिस्सा ले रहा हो,चार साल पहले सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस वी आर कृष्णा अय्यर जो वामपंथी विचारधारा से प्रेरित रहे और केरल में स्थापित हुई देश की पहली कम्युनिस्ट सरकार में मंत्री रहे। उन्होंने ख़ुद होकर संघप्रमुख भागवत से मुलाक़ात की थी, अमूमन संघप्रमुख से होने वाली मुलाक़ात सार्वजनिक नहीं होती लेकिन अय्यर ने ख़ुद होकर अपनी इस मुलाक़ात को लेकर मीडिया से चर्चा की थी।

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संघ के कार्यक्रम में मुख़र्जी के हिस्सा लेने का उनके गृहराज्य पश्चिम बंगाल के साथ देश भर में विरोध हो रहा है लेकिन डॉ भागवत से ये उनकी कोई पहली मुलाक़ात नहीं है। अब तक दोनों के बीच चार बार मुलाकातें हो चुकी है जिसमें संघप्रमुख ने उन्हें संघ के कार्यों को लेकर प्रकाशित पुस्तकें भेंट दी थी। आरएसएस के अखिल भारतीय सहप्रचार प्रमुख नरेंद्र कुमार ने मीडिया को बयान जारी करते हुए कहाँ है की डॉ प्रणब मुख़र्जी ने निमंत्रण स्वीकार्य किया ये उनकी महानता है संघ अपने कार्यक्रमों में समाज सेवा में सक्रीय और देश के प्रमुख लोगों को बुलाता रहा है। संघ 1930 से सक्रीय है महात्मा गाँधी के साथ पूर्व उपराष्ट्रपति डॉ ज़ाकिर हुसैन,जयप्रकाश नारायण और जनरल करियप्पा जैसी शख्सियतें संघ के विभिन्न शिविरों में उपस्थित रही है। संघ भेदभावमुक्त और समतायुक्त समाज के लिए बीते 92 वर्षों से कार्य कर रहा है जिसके लिए सभी से संवाद का जरिया खुला है। सन 1963 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निमंत्रण पर 3 हज़ार स्वयमसेवकों ने गणवेश के साथ गणतंत्र दिवस की परेड में हिस्सा लिया था इसके अलावा 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के आमंत्रण पर राष्ट्रीय एकता परिषद् की बैठक में हिस्सा लिया था।

संघ के विचारक प्रोफ़ेसर डॉ राकेश सिन्हा ने अपनी क़िताब डॉ केशव बलिराम हेडगेवार में संघ के विचारों से मेल न खाने वाले व्यक्तियों के संघ से जुड़ाव पर विस्तार से लिखा है। अपनी इस क़िताब में उन्होंने महात्मा गाँधी और डॉ बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर द्वारा संघ शिविरों को दी गई भेंटों का विवरण प्रस्तुत किया है। 25 दिसंबर 1934 को अपने वर्धा प्रवास के दौरान महात्मा गाँधी ने वहाँ शुरू संघ के शिविर में हिस्सा लिया था। इसके अलावा 16 सितंबर 1947 को दिल्ली में आयोजित शिविर में न केवल भाग लिया बल्कि उसमे भाषण भी दिया। सिन्हा की इस क़िताब में डॉ आंबेडकर द्वारा दी गई भेंट का भी ज़िक्र है। 1938 में पुणे में संघ के शिविर में आंबेडकर पहुँचे थे। सिन्हा ने अपनी इस क़िताब में बताया है की इस शिवर में आने के बाद आंबेडकर संघ के कार्यो से प्रभावित हुए थे। और उन्होंने कहाँ था की अस्पृश्यता को ख़त्म करने का ऐसा प्रयोग उन्होंने कहीं नहीं देखा संघ में दलितों को दिए गए प्रतिनिधित्व से वो काफ़ी प्रभावित हुए।

सिन्हा ने नागपुर टुडे से बात करते हुए बताया की पूर्व राष्ट्रपति का संघ के कार्यक्रम में विरोध किया जाना दिखावा है ये सिर्फ उस राजनीतिक एजेंडा का हिस्सा है जिसमें सिर्फ़ मानसिकता संघ के विरोध की है। संघ में निरंतर विमर्श की स्वस्थ परंपरा है। ऐसे कई उदहारण हमें देखने को मिलते है जिसमें विपरीत विचारधारा वाले लोगों को अपनी बात कहने का मंच संघ ने ख़ुद तैयार करके दिया। प्रणव मुख़र्जी का संघ के कार्यक्रम में आना इंडिया फस्ट की अवधारणा को बल देता है। दरअसल उन्होंने आमंत्रण स्वीकार्य कर विभाजित,खंडित राजनीति को संदेश दिया है कि स्वस्थ लोकतंत्र में कुछ भी अछूत नहीं। संघ विरोधी विचार वाले व्यक्ति को शत्रु नहीं मानता विरोधियों से संपर्क कर संवाद स्थापित करने का प्रयास करता है। ऐसे में प्रणब दा के संघ के कार्यक्रम में जाने का विरोध उचित नहीं है।

इस विवाद पर केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी ने कहाँ है की देश में राजनीतिक छुआछूत की स्थिति नहीं होनी चाहिए। संघ पाकिस्तान की संस्था नहीं है जहाँ वो नहीं जा सकते। वो जा रहे है ये अच्छा है।

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