नागपुर: महा मेट्रो के मातहत काम करने वाली एमएमआरसीएल जिसे माझी मेट्रो के नाम से भी जाना जाता है वह अपनी तकनीक को पेटेंट करने जा रही है। इसका मकसद भविष्य में देश में बनने वाली किसी नई मेट्रो रेल परियोजना में अगर नागपुर की तकनीक को इस्तेमाल किया जाता तो इससे राजस्व हासिल हो सकें। दरअसल नागपुर मेट्रो में ट्रैक बिछाने के लिए जो वाय डक स्थापित किया गया है उसकी चौड़ाई साढ़े आठ फिट है जो अब तक देश में शुरू किसी भी परियोजना से कम है। नागपुर मेट्रो ने चौड़ाई को कम करने के लिए अपनी ख़ुद की तकनीक स्थापित की है। नागपुर मेट्रो की तुलना अगर दिल्ली में संचालित हो रही मेट्रो से करें तो ज़मीन के ऊपर स्थापित किये गए वाय डक की चौड़ाई साढ़े 12 फीट की है। इस तकनीक का इस्तेमाल कर नागपुर मेट्रो ने न केवल भूमि अधिग्रहण के लिए खर्च होने वाले लगभग 300 करोड़ की बचत की है। बल्कि कई मौजूदा निर्माण को तोड़ने से बचाने का काम हुआ है। इसके अलावा वाय डक स्थापित करने के लिए जो पिलर बनाये गए है उनकी गोलाई कम है साथ ही साथ लंबाई को अन्य परियोजना की तुलना में अधिक रखा गया है जिससे कि मार्ग के आस-पास की ईमारतों को अधिक सुरक्षित रखा जा सके।
नागपुर मेट्रो के प्रोजेक्ट निदेशक महेश कुमार अग्रवाल के अनुसार हमने जो तकनीक विकसित की है वह यूनिक है। इसका हम पेटेंट कारवां रहे है जिससे कि हम अपनी परियोजना के लिए राजस्व एकत्रित कर सकें।