Published On : Wed, Sep 12th, 2018

मलेरिया-फलेरिया विभाग बेलगाम, सम्बंधित अधिकारी ने साधी चुप्पी, नागरिक हलाकान

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नागपुर: नागपुर शहर में अस्वच्छता की वजह से मच्छर, कीड़े-मकोड़े से नई-नई बीमारियों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. बढ़ते मलेरिया के मरीज इसका प्रमाण दे रहे हैं. वजह साफ़ है कि समय-समय पर अपेक्षित साफ़-सफाई का आभाव महसूस किया जा रहा. तो दूसरी ओर मनपा स्वस्थ्य समिति सभापति मनोज चाफले सार्वजानिक रूप से गुमराह करनेवाली जानकारी देकर जनता को भ्रम में डाल रहे हैं. जिसके गवाह उपायुक्त रवींद्र देवतले, अतिरिक्त आयुक्त राम शिंदे, उपायुक्त राजेश मोहिते, डॉक्टर अनिल चिव्हाणे बने. मनपा में स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी अतिरिक्त आयुक्त अज़ीज़ करीम शेख ज्वलंत समस्याओं से खुद को अलग-थलग किए हुए है.

शहर में बड़े-छोटे नदी-नाले और जमा दूषित पानी की वजह से मच्छरों का जन्म तीव्र गति से हो रहा है. जो नागरिकों को काटते हैं और लोग बीमार हो जाते हैं.

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इनसे निजात पाने के लिए रहवासी सर्वप्रथम साफ़-सफाई और बाद में मच्छर उन्मूलन के लिए दवा के छिड़काव की मांग करते हैं. आम नागरिकों की मांग तो छोड़िए क्षेत्र के नगरसेवकों की मांग तक इतनी बढ़ गई है कि विभाग सीमित मानवबल के चलते कुछ कर पाने की स्थिति में नहीं है. लिहाजा हर विभाग में मांग के अनुरूप एक सूची बनाकर दवा का छिड़काव चेहरा देख कर किया जा रहा है.

प्रभावी नगरसेवक या पदाधिकारी होने पर तो बड़ी मशीन और अप्रभावी रहा तो बहुत ही छोटी मशीन भेज खानापूर्ति की जा रही है. दरअसल मलेरिया-फलेरिया विभाग प्रमुख मनपा के किसी भी अधिकारी के निर्देशों का पालन नहीं करते हैं. दासरवार जैसे वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा पिछले एक साल से कुछ जगहों पर बड़े फॉगिंग मशीन से छिड़काव करने का निर्देश दिया जा रहा है, लेकिन उनके निर्देशों को सिरे से टाला जा रहा है. मनोज चाफले ने भी जानकारी दी कि विभाग प्रमुख उनके निर्देशों का पालन नहीं करती हैं. बावजूद इसके मनपा प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों का चुप्पी साधे बैठना समझ से परे है.

विडम्बना यह है कि छोटी याने हैंडी मशीन से छिड़काव के वक़्त बड़ी कर्कश आवाज भी आती है. यह आवाज जानवरों को बर्दाश्त नहीं होती है. इसलिए यह आवाज जहां से आती है आसपास के जानवर आवाज की ओर दौड़ लगाते हैं. जानवरों को अपनी ओर दौड़ता देख छिड़काव करने वाला भी जानवर के डर से मशीन छोड़ उल्टा भागने के चक्कर में गिर-पड़ जाता है और कई बार वह घायल भी हो जाता है. साथ में मशीन भी गिरने से ख़राब या बंद हो जाती है.

रही बात मशीन की तो छिड़काव के मामले में छोटी याने हैंडी मशीन नाकामयाब दिखी, वहीं बड़ी मशीन से कम से कम कुछ दिनों की राहत जरूर महसूस की गई.

अब सवाल यह है कि उक्त विभाग में बड़ी मशीन कम है और शहर काफी बढ़ चुका है. जिसके लिए बड़ी मशीनों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है

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