नागपुर: वन विभाग के साथ ग्रामीण इलाकों के नागरिकों के लिए खौफ का पर्याय बन चुकी नरभक्षी बाघिन की अंतत: खेत में लगे बिजली के तारों के संपर्क में आने से मौत हो गई। इसकी सूचना वन विभाग को मिलने ही वन विभाग की समूची टीम घटना स्थल पहुंच गई। नागपुर से जांच के लिए दो वेटरीनरी चिकित्सकों की टीम को भी रवाना किया गया है। आतंकी बाघिन को जिंदा पकड़ने के साथ नियंत्रण बाहर होने पर बंदूक से शूट करने के आदेश जारी किए गए थे। इसके लिए वन विभाग की ओर से तीन टीमें बनाकर उसका लोकेशन ट्रेस किया जा रहा था। दो हाथियों को विशेष तौर से उसका लोकेशन पता लगाने के लिए लगाया गया था। दिन रात वन विभाग उस बाघिन की तलाश में लगी हुई थी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्धा जिले के बोर अभ्यारण्य के पास सिंदीविहिर गांव के भगवान टेकाम के खेत में मरा पया गया। बता दें कि इस बाघिन को ब्रह्मपुरी रेंज में आतंक मचाने के बाद ट्रैंक्यूलाइज कर पकड़ा गया था। जिससे वहां से उसे गोरेवाड़ा रेस्क्यू सेंटर में लाया गया। इसके बाद वन विभाग द्वारा गठित एक समिति ने निर्णय लेकर उसे जंगल में दोबारा निगरानी के साथ छोड़ने का निर्णय लिया था। लेकिन उसके इंसानों पर हमला शुरू करने से वन विभाग भी सक्ते में आ गया। इसके बाद उसे पकड़ने के लिए अभियान छेड़ा गया। लेकिन इसका इंसानों पर जारी हमले की घटनाओं ने वन विभाग को उसे मारने के आदेश जारी करने पड़े।
ट्रैंक्यूलाइज करने के लिए बुलाई गई टीम को ही उसे पहले पकड़ने और असफल होने पर मारने के आदेश दिए गए। अदालत में भी उसके इंसानों पर हमले किए जाने की घटनाओं के मद्देनजर उसे नरभक्षी करार दिया गया। लेकिन इसके बाद भी वन विभाग के साथ कई पर्यावरण प्रेमी उसे बचाने के पक्ष में खड़े दिखाई दिए। अंतत: बाघिन के दुर्घटना में मारे जाने को लेकर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है।