नागपुर: कोलब्लॉक घोटाले में फंसे कोयला व्यापारी मनोज जैस्वाल की 3 करोड़ 26 लाख रूपए की संपत्ति को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा अटैच किया ( जाँच के दायरे )में ले लिया है। धंतोली में मेसर्स ग्रोथ इन्फिनिटी नागपुर, नामक कंपनी की 1673.31 स्क्वेयर मीटर जगह को ईडी द्वारा जप्त किया गया है। यह कंपनी मनोज जैस्वाल की ही है जिसके द्वारा धंतोली इलाके में संपत्ति खरीदी गई। मनोज जैस्वाल की ही कंपनी मेसर्स जेएलडी यवतमाल एनर्जी लिमिटेड पर कॉलब्लॉक आवंटन में घोटाले का आरोप है इसी कंपनी में मनोज का बेटा अभिषेक जैस्वाल डायरेक्टर है। कोलब्लॉक घोटाले में सीबीआई द्वारा मनोज जैस्वाल की कंपनी और इसके मालिकों पर सीबीआई द्वारा एफआईआर दर्ज है। जबकि प्रवर्तन निदेशालय मनी लॉन्ड्रिंग के तहत मामले की जाँच कर रहा है। मेसर्स जेएलडी यवतमाल एनर्जी लिमिटेड के तत्कालीन निदेशक मनोज जैस्वाल पर कोलब्लॉक आवंटन प्रक्रिया में कोयले की खदान को हासिल करने के लिए तथ्यों को छुपाने और गलत जानकारी देने का आरोप है।
इस कंपनी ने झूठे दस्तावेजों के आधार पर यूपीए शाशनकाल के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य में ईस्ट फतेहपुर कोल ब्लॉक धोखे हे हासिल करने में कामियाब रही थी। इस कंपनी को लोकमत समूह और आईडीएफसी लिमिटेड के द्वारा संचालित किया जा रहा था। ब्लॉक हासिल करने के लिए कंपनी की नेट वर्थ 2544.19 करोड़ बताई गई और 1215 मेगावॉट बिजली उत्पादन का दावा किया गया। ऊर्जा मंत्रालय की कोलब्लॉक आवंटन से जुडी शर्तो को पूरा करते हुए दिखाने के लिए कंपनी द्वारा झूठे दस्तावेज़ प्रस्तुत किये गए। वर्ष 1999 से 2005 के बीच कंपनी को चार कोयला खदानें प्राप्त हुई थी।
कोलब्लॉक से कमाया पैसा समूह की दूसरी कंपनी को ट्रांसफर, उसी पैसे से खरीदी प्रॉपर्टी
प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी जाँच में पाया की गलत तरीके से हासिल की गई खदानों से प्राप्त आय से ही मेसर्स ग्रोथ इन्फिनिटी नागपुर नामक कंपनी द्वारा जगह खरीदकर उसमे ईमारत का निर्माण किया गया। जाँच में यह भी सामने आया कि कोलब्लॉक का आवंटन हासिल होने के बाद कंपनी के मुख्य प्रमोटर मनोज जैस्वाल और लोकमत समूह के विजय दर्डा कंपनी से अलग हो गए लेकिन जैस्वाल परिवार इस व्यापर से अप्रत्यक्ष तौर से जुड़ा रहा। जाँच में आगे खुलासा हुआ की मनोज और अभिषेक की स्वामित्व वाली कंपनी अभिजीत ग्रुप द्वारा अपने परिवार के सदस्य की कंपनी को मोटी रकम दी गई है। जिस कंपनी को रकम दी गई वह मेसर्स ग्रोथ इन्फिनिटी थी जिससे मनोज जैस्वाल का भी जुड़ाव था इसी कंपनी द्वारा धंतोली में यह संपत्ति खरीदी गई थी।
जाँच से बचने कंपनी के दस्तावेजों में की गई हेरफ़ेर
ईडी की जाँच में खुलासा हुआ है की मनोज जैस्वाल और कंपनी के पूर्व प्रमोटरों ने कोलब्लॉक में नाम आने के बाद खुद को बचाने के लिए कई तरह के प्रयास किये गए। बचने के लिए झूठे दस्तावेज तैयार किये गए। कंपनी द्वारा जानबूझकर और धोखाधड़ी से पूर्व में मिले कोलब्लॉक आवंटन से जुडी जानकारी छुपाई जिससे की कंपनी जाँच से बच सके।
नागपुर ईडी की टीम ने कोलब्लॉक से नागपुर कनेक्शन की बारीकियों को छाना
देश में तहलका मचा देने वाले कोलब्लॉक घोटाले में नागपुर कनेक्शन को उजागर करने में नागपुर स्थित प्रवर्तन निदेशालय की भूमिका अहम रही। सघन जाँच पड़ताल के बाद घोटाले से जुड़े सभी कनेक्शन को बाहर लाया गया। मामला सामने आने के बाद इसमें फंसे आरोपियों द्वारा बचने के लिए हर संभव प्रयास किये गए लेकिन ईडी नागपुर की टीम ने सभी मंसूबो पर पानी फेर दिया। घोटाला हो जाने के बाद आरोपी कंपनियों द्वारा कमाए गए पैसो को किसी अन्य जगह इन्वेस्ट किये जाने की आशंका को लेकर जाँच की जा रही थी। इसी जाँच के दौरान घोटाले में शामिल कंपनी द्वारा पैसे को किसी अन्य कंपनी में निवेश किये जाने की महत्वपूर्ण जानकारी सार्वजनिक हुई।