भूमकाल संघटना का आरोप
नक्सल समर्थक संघटना पर बंदी की मांग
गड़चिरोली। शासन ने आदिवासी विकास के लिए पेसा कानून लाया. इस कानून से ग्रामस्थों के हाथ में विकास की डोर आई है. लेकिन माओवादी आंदोलन इस कानून का फायदा उठाने का प्रयास कर रहे है. ऐसा आरोप भूमकाल संगटना ने किया है. नक्सल समर्थक संघटना इस माओवादीयों को सहकार्य करता है. इसलिए इसे तुरंत बंद करना चाहिए. ऐसी मांग भूमकाल संघटना ने की है.
भूमकाल संघटना के सचिव दत्ता शिर्के ने कहां कि, वनाधिकार और पेसा ये दोनों आदिवासी के हितों को संभालने के कानून का फायदा उठाने की माओवादियों की नई योजना है. दुर्गम क्षेत्र में, खास करके कोरची, धानोरा और एटापल्ली तालुका में माओवादियों ने प्रचार शुरू किया है. माओवादियों ने कार्य के लिए अब नक्सल-समर्थन की मदद शुरू की है.
गलत प्रचार में नक्सल समर्थक संघटना का उपयोग नियोजन पद्धति से होकर प्रभावी बन रहा है. नक्सल समर्थक संघटना ने दुर्गम गावों में दिन में सभा लेकर पेसा कानून का प्रावधान जनता को बताया. उसमे पेस कानून माओवादियों को फायदेमंद रहेगा ऐसी बातें बताने का आरोप शिर्के के ने किया. इन दोनों कानून के लिए माओवादी सबसे पहले आगे आए. ऐसा कहकर लोकशाही व्यवस्था में असंतोष निर्माण करने का काम तथाकथित संघटना कर रही है ऐसा आरोप भी शिर्के ने किया है.
माओवादियों का राज्य आया तो ग्रामसभा जंगल के मालिक होंगे ऐसा बताया जा रहा है. रात को माओवादी गांव में बैठक लेकर पैसा कानून के बारें में बता रहे है. जिससे बंदूकधारी व्यक्ति से ज्यादा खादीधारी व्यक्ति अधिक जरुरी है. माओवादी नियोजन पद्धति से यह सब कर रहे है ऐसा भूमकाल संघटना का कहना है.