नागपुर: दिव्यांगों के लिए सरकार द्वारा सभी योजनाओं का लाभ लेने के लिए अपंगत्व वैद्यकीय प्रमाणपत्र आवश्यक होता है, दिव्यांगों को सभी योजनाओं का लाभ दिलाने के उद्देश्य को ध्यान में रखकर जिलाधिकारी सचिन कुर्वे के मार्गदर्शन में 100 दिनों में 6,000 अपगत्व वैद्यकीय प्रमाणपत्र विशेष अभियान शिबिर के अंतगर्त वितरित किए गए . 15 अगस्त से इसकी शुरुआत की गई थी, जो 23 दिसंबर तक चलेगा.
जिलाधिकारी सचिन कुर्वे ने बताया कि प्रमाणपत्रों को पोस्टल विभाग से किए गए करारनुसार दिव्यांगों को प्रमाणपत्र उनके घर पहुंचा के दिए जाएंगे.
जिलाधिकारी कार्योलय में हुई इस पत्र परिषद में जिला अपंग पुनवर्सन केंद्र के समन्यवयक अभिजीत राऊत, मेयो हॉस्पिटल की डीन डॉ. अनुराधा श्रीखंडे, धर्मादाय की सहायक आयुक्त आभा कोल्हे, जीएमसी के अपंग प्रमाणपत्र विभाग के अधीक्षक डॉ. रमेश पराते मौजूद थे.
कुर्वे ने बताया कि नागपुर शहर मे अपंगत्व प्रमाणपत्र देने के लिए 11 शिबिरों का आयोजन किया गया था. जिसमें 1900 लाभार्थियों को प्रमाणपत्र दिए गए तो वहीं नागपुर जिला ग्रामीण में 13 तहसीलों में 39 शिबिरों में दो चरणों में 4100 लाभार्थियों को प्रमाणपत्र पोस्ट द्वारा अगले दस दिनों में उनके घर भेज दिए जाएंगे. ऐसे कुल शहरी और ग्रामीण मिलाकर 6 हजार लाभार्थियों को प्रमाणपत्र दिए जाएंगे .
उन्होंने बताया कि एसएडीएम(sadm) सॉफ्टवेयर द्वारा शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व रुग्णालय में शहर में प्रमाणपत्रों के लिए निश्चित किए गए लाभार्थियों की जानकारी ऑनलाइन करने के लिए अपंग पुनर्वसन केंद्र व साथ ही मेयो हॉस्पिटल में कक्ष क्रमांक 43 में अपंग पुनर्वसन केंद्र के मार्फ़त कक्ष की स्थापना कर कर्मियों को नियुक्त किया गया है.
जिलाधिकारी कुर्वे ने बताया कि 80 अनाथ बच्चों को भी प्रमाणपत्र और आधारकार्ड बनाकर दिए गए हैं. साथ ही सिटी सर्वे में जुड़े लोग अब अपने जमीन की जानकारी ऑनलाइन ले सकते हैं.
कुर्वे ने सिकलसेल के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि महाविद्यालयों में विद्यार्थियों की सिकलसेल जांच अभियान भी चलाया गया. जिसमें अब तक कुल 10 हजार विद्यार्थियों की जांच की गई. मेयो की डीन डॉ. श्रीखंडे ने बताया कि नागपुर में करीब 7.6 प्रतिशत सिकलसेल बीमारी से पीड़ित कैरियर्स है.
जिला अपंग पुनवर्सन केंद्र के समन्यवयक अभिजीत राऊत ने कहा कि इन शिबिरों की जानकारी सोशल मीडिया में भी डाली गई थी और ग्रामीण भागों में बैनर भी लगाए गए थे. जिसके बाद करीब 17 हजार लाभार्थियों के फ़ोन आए थे.