साकोली (भंडारा)। तालुका के शिवनीबांध जलाशय से लाखों लीटर पानी पाटबंधारे विभाग की अनदेखी के वजह से बर्बाद हो रहा है. किसानों को संजीवनी देकर हरित क्रांति का सपना पूरा करने वाले इस जलाशय का पानी खेती में छोड़ने के बजाय राज्यमार्ग पर छोड़ दिया. इस जलाशय के पानी से परिसर के 15 से 20 गांव की सैकड़ों हेक्टर खेती की सिंचाई होती है. इस बार कम बारिश से धान की खेती पर असर पड़ रहा है. लेकिन परिसर में सिंचाई की क्षमता वाले इस नहर से किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो रही है. शिवनीबांध में शाखा अभियंता का कार्यालय है. लेकिन इस कार्यालय के अधिकारियों को शासकीय वेतन और ऊपरी कमाई के अतिरिक्त कुछ नहीं दिखता.
नहर के दोनों साइड कचरा, छोटे पेड़ बड़ गए है लेकिन अधिकारियों को इसे सांफ करने के लिए वक्त नहीं है. दोनों जलाशय फूंटे हुए है जिससे लाखों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है और खेती को पानी कम पड रहा है. सिंचाई का पानी राज्यमार्ग के समीप होने से संपूर्ण मार्ग पर पानी फैला है. पिछले वर्ष किसानों ने दोनों नहर के अंतर्गत धान फसल की बुआई की थी. इस दौरांन पाटबंधारे विभाग के अधिकारियों ने जलाशय में पानी की पूर्ति कम होने का कारण बताकर सिंचन बंद कर दिया. जिससे पानी वितरण के संदर्भ में परिसर में बड़ा विवाद निर्माण हुआ है. शिवनीबांध जलाशय की ओवरफ्लो क्षमता साडे ग्यारह फुट के ऊपर है. इस बार आठ फुट पानी जमा था और पानी वितरण शुरू होने से सिंचन क्षमता केवल 6 फुट पर पहुंची है. हर साल नहर पर लाखों रुपये खर्च होते है लेकिन रुपयों का भ्रष्टाचार होने से नहर की स्तिथी जस से तस है.
अधिकारियों की इस लापरवाही की वजह से खेती की सिंचाई, मत्स्य व्यवसाय, पालतू और वन्यजीवों की तृष्णा मिटाने वाला यह जलाशय, केवल अधिकारी और ठेकेदारों की ऊपरी कमाई देनेवाला साधन बन गया है. चुनाव की आचार संहिता होने से जनता एवं लोकप्रतिनिधि इस ओर ध्यान नहीं दे रहे. फिर भी सप्ताह से लिकेज हुए नहर के लाखों लीटर पानी की किमत कौन भरके देगा यह प्रश्न है खड़ा हुआ है.