नागपुर. चंद्रपुर जिले में दुर्गापुर डीप एक्सटेन्शन ओपनकास्ट प्रोजेक्ट के खुले खनन के लिए वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड को 374.90 हेक्टेयर वन भूमि हस्तांतरित करने का निर्णय लिया गया. इस भूमि पर कुल 25,587 पेड है. रेंज फारेस्ट आफिसर की रिपोर्ट के अनुसार इन पेड़ों की क्षति होगी. जिससे पर्यावरण के होनेवाले नुकसान को देखते हुए प्रकृति फाऊंडेशन की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई.
याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पैरवी कर रहे उपसालिसिटर जनरल ने सहायक वन महानिरीक्षक के अधिकार से 21 मार्च 2025 को जारी आदेश की प्रति कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की. जिसमें बताया गया कि भारत सरकार के वन महानिरीक्षक की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में कुछ निर्णय लिए गए. निर्णय के अनुसार अब अतिरिक्त पेड़ों की कटाई की अनुमति के लिए अप्रुवल की शर्तों में बदलाव की आवश्यकता होगी. हालांकि, ऐसा करने के लिए, उपयोगकर्ता एजेंसी के नाम में परिवर्तन के लिए अप्रुवल की आवश्यकता होगी. इसलिए यह निर्णय लिया गया कि एजेंसी के नाम में परिवर्तन के प्रस्ताव की मंत्रालय द्वारा जांच की जाएगी. साथ ही उचित कार्रवाई की जाएगी.
कोर्ट को बताया गया कि बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार अप्रुवल की शर्तों में परिवर्तन के लिए सक्षम प्राधिकारी का अनुमोदन भी साथ-साथ प्राप्त किया जाएगा. शेष कम्पलसरी एफोर्सटेशन भूमि की अधिसूचना में तेजी लाई जाएगी तथा राज्य द्वारा अतिरिक्त वृक्षों को काटने की अनुमति तभी दी जाएगी जब सम्पूर्ण प्रतिपूरक वनरोपण क्षेत्र को संरक्षित जंगल के रूप में अधिसूचित कर दिया जाएगा. वृक्षों की अत्यधिक कटाई के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ राज्य द्वारा मौजूदा नियमों और दिशानिर्देशों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. महेश धात्रक ने कहा कि ताडोबा टाईगर रिजर्व के दक्षिण हिस्से में भारी मात्रा में पेड़ों की कटाई होते देखा गया है.
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने कहा कि जांच पहले ही अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक द्वारा की जा चुकी है, जिन्हें लायड मेटल एंड एनर्जी लि. की परियोजना के मामले में नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था. उक्त रिपोर्ट 30 मार्च 2025 को राज्य सरकार को प्रस्तुत किया गया था. महाधिवक्ता ने आश्वासन दिया कि तीन सप्ताह के भीतर न केवल पेड़ों की कटाई की शर्तों के आदेश के उल्लंघन के मामले में राज्य सरकार द्वारा लिया गया निर्णय सूचित किया जाएगा, बल्कि अन्य पहलुओं के बारे में भी बताया जाएगा, साथ ही 21 मार्च 2025 को लिए गए निर्णय को लेकर वन विभाग के सचिव द्वारा विधिवत शपथ पत्र भी दायर किया जाएगा.