Published On : Thu, Feb 1st, 2018

मोदी सरकार के अंतिम बजट में किसान, गरीब, बुजुर्गों को राहत, मध्यम वर्ग में निराशा

Budget 2018
कामठी: देश में लोकसभा के चुनाव 2019 में होनेवाले है। मोदी सरकार के इस अंतिम रेलवे व आम बजट को संसद के इतिहास में पहलीबार वित्तमंत्री अरुण जेटली ने हिंदी में बजट पेश कर हिंदुस्तान की मातृभाषा हिंदी का गौरव बढाया है। सन 2018 के बजट का गुरूवार काे संसद में वित्तमंत्री ने देशवासियों के समक्ष पेश किया। बजट में जहां एक ओर किसान, गरीब, बुजुर्गों पर सरकार महेरबान दिखी तो वहीं मध्यम वर्ग को किसी प्रकार की राहत न देने से उनमें निराशा दिखाई दी। शहर के राजनीतिक व अन्य संगठनों के लोगांे ने बजट की इस प्रकार प्रतिक्रिया जाहिर की।

वित्तमंत्री द्वारा संसद में पेश किया गया बजट मध्यम वर्ग के साथ देश के नागरिकों को धोका देने समान है। आनेवाले सन 2019 में लोकसभा चुनाव में जनता सबक सिखायेंगी।
—मो. शाहजहां शफाअत अंसारी, न.प. अध्यक्ष कामठी

वित्तमंत्री अरुण जेटली के आम बजट में गरीबों, बुजुर्गों व किसानों की खुशहाली के लिए सबसे अच्छा बजट पेश किया है। इससे देश के विकास को मजबूती मिलेगी।
िववेक मंगतानी, शहर भाजपा अध्यक्ष, कामठी

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ग्रामीण सडकों व बरोजगार शिक्षित युवाओं के भाग्य खुलेंगे। रोजगार के अवसर प्रदान होंगे। किसानों को पशु, मत्स्य पालन हेतु कर्ज देकर प्रोत्साहन सराहनीय है। लेकिन मध्यम वर्ग के लिए यह बजट निराशा जनक है।
—राजू शर्मा, सी.ए.

रेलवे के आधुनिकिकरण के लिए बजट में पेश किए गए प्रावधान स्वागत योग्य है। इसके साथ ही रेलवे की खाली पडी जमीन का व्यवसाय हेतु उपयोग में लाना रेलवे की प्रगति का सबूत है। उसी प्रकार सरकार ने ई-टिकट पर सर्विस टैक्स कम करके यात्रियों को राहत दी है।
—बबलू तिवारी, सदस्य, रेलवे सलाहगार समिति, कामठी

मोदी सरकार के अंतिम रेलवे व आम बजट किसान, मध्यम वर्ग युवाओं को धोका देने समान है। वित्तमंत्री जेटली द्वारा पेश किए गए इस बजट से देश की अर्थव्यवस्था दिशाहीन होगी।
—देवराव रडके, पूर्व विधायक, कामठी

गुरूवार को वित्तमंत्री द्वारा संसद में पेश बजट से आम लोगों को लुभाने की कोशिश की गई है। कुछ हद तक गरीबों, बुजुर्गाें को राहत तो दी गई है पर उस पर अमल होगा यह संदेह के परे है।
—इदरीस नागानी, व्यवसायी कामठी

वित्तमंत्री द्वारा संसद में पेश बजट की सबसे महत्वपूर्ण खासियत देश के 50 करोड गरीब लोगों को वर्ष में 5 लाख का स्वास्थ्य िबमा सराहनीय पेशकश है। इस बजट में सभी वर्गों का ख्याल रखा गया है।
—डा. राजेंद्र अग्रवाल, कामठी

सन 2018 का संसद में वित्तमंत्री द्वारा पेश बजट गरीब व मध्यम लोगों की चिंता दूर होगी। इससे देश का विकास संभव है।
—मोंटू भुटानी, कैन्ट कामठी

संसद में पेश किए गए बजट का सबसे ज्यादा ख्याल वित्तमंत्री ने बुजुर्गों व गरीब महिलाओं का रखा है। जिससे इन लोगों में मोदी सरकार के प्रति अाकर्षण बढेगा।
—प्रा. मनीष वाजपेयी, पूर्व अध्यक्ष, भाजपा शहर

डिजिटल पढाई को बढा देने, आदिवासी विद्यार्थियों के लिए एकलव्य विद्यालय बनायें जायेगे, स्कूलाें में ब्लैक बोर्ड की जगह डिजिटल बोर्ड लगाए जायेंगे। इससे गरीब व पीछडे वर्ग के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा ग्रहण करने में सरलता होगी।
—पी.डी. जैस्वाल, कामठी

हर बार की तरह इस बार में भी बजट में रसोयी और गृहणियों को अनदेखा किया गया। रोजमर्रा की इस्तमाल होनेवाली चीजों में किसी प्रकार की भी कटौती नहीं की गई। इसके विपरित किचन में इस्तेमाल होनेवाले, सब्जियां महंगी कर दी है साथ ही इलेक्ट्रानिक्स और फुड प्रोसेसर पर 5 प्रतिशत की कस्टम ड्युटी बढाकर अब तो गृहणियों का बजट बढा दिया आम गृहणियों के लिए निराशा जनक बजट रहा।
—सविता शर्मा, पूर्व न.प. उपाध्यक्ष

शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए अप्रशिक्षित शिक्षकोंे को शिक्षित करने का प्रावधान स्वागत योग्य है। ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों को शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति होगी। वित्तमंत्री द्वारा पेश किया गया बजट से शहर और ग्रामीण की प्रगति होगी।
—मनीष मेहाडिया, दवा व्यवसायी

22 हजार गांवों को कृषि बाजार में तब्दील करने से किसानों कि स्थिति में सुधार होगा। कुछ हद तक यह बजट राहत वाला है तो मध्यम वर्ग के साथ सराफा व्यवसायियों के लिए किसी भी प्रकार की राहत का प्रावधान न करना उनमें निराशा प्रकट करता है।
—अजय गुरव, सराफा व्यवसायी

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने गरीबों के साथ बुजुर्गों के जीवन में बहार लायी है तो वहीं बडे व्यवसायियों हेतु बजट में किसी भी प्रकार का प्रावधान व राहत न देेना चिंता का िवषय है।
—सुनील अग्रवाल, व्यवसायी

संसद मोदी सरकार का बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री ने आम जनता के जीवन में सुधार लाने का संकेत है। गरीबों, बुजुर्गों, शिक्षा व किसानों की प्रगति वाला यह बजट सराहनीय है।
—अजय अग्रवाल, व्यवसायी

सरकार के मुताबिक कृषि उत्पादन रिकार्ड स्तर पर है। किसानों के उत्पादन पर न्यूनितम समर्थन मूल्य डेढ गुणा बढाने का ऐलान किया गया है। किसान का कर्ज लेना आसान बनाने के साथ-साथ किसानों के कर्ज के लिए 11 लाख करोड रुपए का फंड की घोषणा भी सरकार ने की है। लेकिन यह केवल घोषणा बाजी तक ही ठिक है। ऐसी नौबत सरकार क्यों लाती है कि किसानों को कर्ज लेना पडे। पहले का कर्ज माफ नहीं हुआ और कर्ज लेने काे बढावा सरकार दे रही है। किसानों की आर्थिक हालत सुधारने पर सरकार ने कोई प्रयास नहीं किए।
—शोएब असद, राकां नेता

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