नागपुर: डिजिटल इंडिया के दावे करने वाली हमारी सरकार जो भ्रष्टाचार कम करने का दावा लगातार करते आ रही है. सरकारी व्यवहार में पारदर्शिता लाने की बात पर जोर देती है, पर उसी सरकार के अंतर्गत आने वाला समूचा प्रशासनिक तंत्र अब असंवेदनशील बन चुका है. किसी भी तरीकें से बेईमानी की कमाई करने की लत सी पड़ चुकी है, जिसके लिए रोज नए तरकीब चलाये जाते हैं. परिवहन विभाग तथा यातायत विभाग का हाल भी इससे परे नहीं जहां काम नहीं होता, होती है केवल सरेआम लूट.
परिवहन विभाग नागपुर में सिर्फ पैसा बोलता है. जो सामान्य नागरिक नियमों के तहत लायसेंस बनवानें आता है उन्हें धक्के खाते हुए कतार में खड़े रहकर सैकड़ों मुसीबतें झेलनी पड़तीं है. पर दलालों के जरिए रिश्वत देकर काम कराने के लिए प्रशासनिक तंत्र सरेआम काम कर रहा है. और यह सारा गोरखधंदा बेहद सफाई से चलता है. दलालों को बीच में रख कर अधिकारियों तक पैसा तो पंहुचता है पर अप्रतक्ष्य रूप से और यह काली कमाई नीचे से लेकर ऊपर तक बांटी जाती है.
—नरेंद्र पुरी