अति सक्षम को अपनी बात रखने का अवसर दिया तो HMS व् अन्य नए सदस्यों ने नाराजगी जताई
नागपुर / कोलकाता: नेशनल कोल वेज एग्रीमेंट- 11 के लिए गठित जेबीसीसीआई की पहली बैठक लंबित सहित अन्य मुद्दों को उठाए जाने के साथ खत्म हुई ।अगली बैठक सितंबर में हो सकती है।
उक्त बैठक में उपस्थित सदस्य के करीबियों के अनुसार कोल् इंडिया प्रबंधन JBCCI को लेकर पहले ही रणनीति अपने मनमाफिक तय कर ली थी,बैठक में अति सक्षम प्रतिनिधियों की सूची तैयार कर सिर्फ उन्हें ही उनके पक्ष में बात रखने की अनुमति दे रहे थे.वक्ताओं को उनकी बात रखने के लिए समय तक निर्धारित कर दिया गया था.ताकि प्रबंधन पर JBCCI हावी न होने पाए.
पहली बैठक में पुराने मुद्दों को तरजीह दी गई,साथ ही मेडिकल अनफिट, पेंशन आदि लंबित मुद्दों पर अनमने ढंग से चर्चा की गई.
लेकिन सीआईएल प्रबंधन के इरादे भांप एचएमएस के प्रतिनिधियों शिवकुमार यादव, सिद्धार्थ गौतम ने बैठक के दौरान इसका पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि सभी अनिवार्य सदस्यों को बोलने का पूर्ण अधिकार है और प्रतिनिधिगण यहां चाय नाश्ता करने नहीं बल्कि मज़दूरों को उनका हक दिलाने आए हैं। इसके बाद प्रतिनिधियों ने मुद्दे रखे।
बैठक में कोल सेक्टर की चुनौतियों का जिक्र किया। बताया गया है कि उन्होंने वेतन समझौते के जल्द संपादन की बात कही गई.
प्राप्त जानकारी के अनुसार जेबीसीसीआई की अगली बैठक सितम्बर में होगी। एचएमएस प्रतिनिधि नाथूलाल पांडेय ने बताया कि बैठक में जनरल मुद्दों पर ही चर्चा हुई है।
एटक के जेबीसीसीआई सदस्य लखनलाल महतो ने बताया कि श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने सौंपे गये मांग पत्र के मुद्दों को उठाया। ग्रेच्युटी, पेंशन, 9:4:0, 9:3:0, कैडर स्कीम सहित तमाम मुद्दे लोगों ने अपने अंदाज में लोगों ने उठाया। जमीन, आवास के भी मुद्दे उठे।
एटक के अध्यक्ष रमेंद्र कुमार ने कोरोना काल का स्पेशल लीव (SPECIAL LEAVE) देने का मुद्दा उठाया। श्रमिक प्रतिनिधियों ने कोरोना से काल के गाल में समा चुके कामगारों को बेहतर मुआवजा देने की मांग की।
बीएमएस के प्रतिनिधियों ने कहा कि सीआईएल और एससीसीएल प्रबंधन को जल्द और सार्थक एनसीडब्ल्यूए-11 समझौते के लिए लगातार बैठकें करें। सभी कोविड संक्रमित स्थायी कामगार और संविदा श्रमिकों को 15 दिनों का विशेष आकस्मिक अवकाश दिया जाए।
ठेका कर्मियों को उच्चाधिकारी समिति का वेतन दिया जाए। सिंगरेनी कंपनी कोरोना के कारण मरने वाले ठेका श्रमिकों के परिवारों को 15 लाख रुपये की अनुग्रह राशि का भुगतान करे।
कोरोना के कारण मरने वाले श्रमिकों के परिवारों को कर्मचारी की काल्पनिक सेवानिवृत्ति तक कंपनी क्वार्टर में रहने की अनुमति दी जानी चाहिए। उचित गारंटी न्यूनतम पेंशन होनी चाहिए, क्योंकि हजारों श्रमिकों को 1,000 रुपये से कम की पेंशन मिल रही है।
01 जनवरी, 2016 से 20 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी बढ़ाने की लंबित मांग को स्वीकार किया जाना चाहिए। एनसीडब्ल्यूए-10 के सभी बिंदुओं को जल्द से जल्द लागू किया जाए। पर्याप्त चिकित्सा डॉक्टरों और कर्मचारियों की भर्ती की जाए।
समझौता कब- कब हुआ लागू और कब हुए हस्ताक्षर
कोल इंडिया लिमिटेड और अनुषांगिक कंपनियों में लगभग ढाई लाख कर्मचारी नियोजित हैं। नेशनल कोल वेज एग्रीमेंट-11 के लिए गठित जेबीसीसीआई की पहली बैठक 17 जुलाई को सीआईएल मुख्यालय में संपन्न हुई.
देश में नेशनल कोल वेज एग्रीमेंट (NCWA) 15 अगस्त, 1967 को प्रभावशील हुआ था। पहले वेतन समझौते पर 11 दिसंबर, 1974 को हस्ताक्षर किए गए थे। उस वक्त यह समझौता चार साल के लिए लागू हुआ। पहले तीन वेतन समझौते चार-चार साल के लिए लागू किए गए थे। नेशनल कोल वेज एग्रीमेंट-4 साढ़े चार साल के लिए लागू हुआ था। 5वें वेतन समझौते से 5-5 वर्षों के लिए इसे लागू किया जाने लगा।
एक से लेकर 10 तक के नेशनल कोल वेज एग्रीमेंट की अवधि और इस पर कब हस्ताक्षर किए गए
नेशनल कोल वेज एग्रीमेंट-I
1/1/1975 – 31/12/1978, हस्ताक्षर – 11/12/1974, अवधि – 4 वर्ष
नेशनल कोल वेज एग्रीमेंट-II
1/1/1979 – 31/12/1982, हस्ताक्षर – 11/8/1979, अवधि – 4 वर्ष
नेशनल कोल वेज एग्रीमेंट-III
1/1/1983 – 31/12/1986, हस्ताक्षर – 11/11/1983, अवधि – 4 वर्ष
नेशनल कोल वेज एग्रीमेंट-IV
1/1/1987 – 30/6/1991, हस्ताक्षर – 27/7/1989, अवधि – साढ़े चार वर्ष
नेशनल कोल वेज एग्रीमेंट-V
1/7/1991 – 30/6/1996, हस्ताक्षर – 19/1/1996, अवधि – 5 वर्ष
नेशनल कोल वेज एग्रीमेंट-VI
1/7/1996 – 30/6/2001, हस्ताक्षर – 23/12/2000, अवधि – 5 वर्ष
नेशनल कोल वेज एग्रीमेंट-VII
1/7/2001 – 30/6/2006, हस्ताक्षर – 15/7/2005, अवधि – 5 वर्ष
नेशनल कोल वेज एग्रीमेंट-VIII
1/7/2006 – 30/6/2011, हस्ताक्षर – 24/1/2009, अवधि – 5 वर्ष
नेशनल कोल वेज एग्रीमेंट-IX
1/7/2011 – 30/6/2016, हस्ताक्षर – 30/1/2012, अवधि – 5 वर्ष
नेशनल कोल वेज एग्रीमेंट-X
1/7/2016 – 30/6/2021, हस्ताक्षर – 10/10/2017, अवधि – 5 वर्ष