नागपुर: शहर के प्रसिद्ध बटुकभाई ज्वेलर्स को भी मुंबई के फर्जी पुलिस इन्स्पेक्टर ने ठग लिया है। नागपुर शहर में दो सिताबर्डी और तहसील थानों में आरोपी ठग के खिलाफ मामले दर्ज है।
तहसील पुलिस ने रविवार को अदालत पेश कर दो दिन के पीसीआर में लिया है। आरोपी शातिर दिमाग ठग निशांत उर्फ़ शनि परमार (३२ ) शांति नगर दहिसर मुंबई निवासी है। बताया जा रहा है की २२ से 23 मार्च 2017 को निशांत ने शहर के धरमपेठ स्थित बटुकभाई ज्वेलर्स के संचालक भरत जमचंद सेठ (53)हेरिटेज अपार्टमेंट सिविल लाईन नागपुर निवासी के मोबाइल पर फोन किया था। बातचीत के दौरान निशांत ने स्वयं का नाम पुलिस इन्स्पेक्टर राठोड मुंबई क्राईम ब्रांच में पदस्थ होने का बताया था। भरत को वह भी बताया गया था की क्राईम ब्रांच ने एक महिला आरोपी को गिरफ्तार किया है। महिला ने अपने बयान में बताया है की उसने चोरी का करीब 50 ग्राम सोना बटुकभाई ज्वेलर्स को बेचा है। सोने की रिकवरी के नाम पर भरतसे ढाई लाख रुपये की मांग की थी। प्रकरण की गंभीरता से भरत ने अपने मुंबई के ही किसी रिस्तेदार के हाथ से निशांत तक रूपये पहुचाये। उसके दुसरे दिन निशांत ने भरत को फिर से फ़ोन किया था। ईस बार उसने ढाई लाख रुपये वापस करने का झासा देकर 50 ग्राम सोना ही भेजने के लिए कहा था। .भरत ने मुंबई के ही अपने दूकान से सोने की वेवस्था की और दूकान के नौकर के हाथ से बांद्रा स्थित कोर्ट के बाहर निशांत के हाथ सोना भिजवाया। ईस दौरान नौकर को रूपए लेकर आने का झांसा देकर निशांत वहां से भाग निकला।
20 लाख की मांग
उल्लेखनीय है की जिस दिन निशांत ने बटुकभाई ज्वेलर्स को निशाना बनाया था। उसी दिन उसने शहर के दो व्यापारीयों को भी ईसी तरह का झांसा दिया था। इतवारी के कोठारी और पारेख नामक सराफा व्यापारियो को भी फ़ोन किया था। रिकवरी के नाम पर उन्हें बीस लाख रुपये की मांग किये जाने का सूत्रों ने दावा किया है ,परंतु निशांत की बातो पर संदेह होने से यह लेंन- देन नहीं हुवा था। परंतु इसकी शिकायत तहसील पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी। तहसील थाने के थानेदार संतोष खांडेकर ने पड़ताल की , तो पता चला की मुंबई क्राईम ब्रांच में राठोड नाम का कोई अधिकारी ही नहीं है। ईस बीच प्रकरण के खुलासे से और कॉल डिटेल्स से ठगी का आरोपी निशांत बीड पुलिस के गिरफ्त में होने का पता चला। तहसील पुलिस ने बीड से शुक्रवार और शनिवार की दरमियानी रात निशांत को गिरफ्तार कर नागपुर लाई। रविवार को अवकाशकालीन अदालत में पेश कर दो दिन के पीसीआर में लिया गया है।
वर्ष २०१३ -२०१४ में मुंबई में कई व्यापारी हुए शिकार
बताया जा रहा है की वर्ष २०१३ -२०१४ में ईसी तरह का झासा देकर निशांत ने कई सराफा व्यापारी को लाखों रूपए से ठग लिया है। प्रकरण में निशांत को गिरफ्तार भी किया गया था। जेल से बाहर आने के कुछ दिनों के बाद निशांत ने फिर से वही पुराना ठगी का धंधा शुरू किया। जिसके चलते विविध शहरों के नामी सराफा व्यापारीयो के मोबाईल नंबर उसने हासिल किए और पुलिस अधिकारी होने का झांसा देकर उन्हें ठगते रहा है।
फ़ोन करने से रकम बची
कुछ व्यापारी निशांत के ठगी का शिकार होने से बाल बाल बच गए है। कहा जा रहा है की उसके बात करने के अंदाज से कुछ सराफा व्यापारियों को संदेह भी हुवा था। हालाकी इसके पुर्व एक व्यापारी निशांत को बीस लाख रुपए देने के लिए तैयार हुआ था। शक होने पर रकम देने से बच गया था। तहसील पुलिस जाँच में जुटी है।