महापौर संदीप जोशी व सत्तापक्ष नेता संदीप जाधव ने सदर थाने में मामला दर्ज करवाया,जहां उपस्थित पुलिस उपायुक्त ने मामला आर्थिक अपराध शाखा के सुपुर्द कर जांच करने की जानकारी दी
नागपुर – महापौर संदीप जोशी ने आज पत्र परिषद में पत्रकारों से चर्चा करते हुए जानकारी दी कि शनिवार को आमसभा के दौरान घटित घटना से उबरे नहीं थे कि आज सोमवार को दूसरी कलंकित करने वाली घटना मनपा में घटित हुई। वर्तमान मनपायुक्त तुकाराम मुंढे,प्रमुख लेखा व वित्त अधिकारी मोना ठाकुर और कंपनी सेक्रेटरी अमृता देशकर ने पद का दुरुपयोग कर स्मार्ट सिटी के निधि का दुरुपयोग किया,जो कि गैरकानूनी हैं।
मुंढे स्मार्ट सिटी के न तो अधिकृत निदेशक हैं इसके बावजूद बिना नियमों का पालन किये स्वयं घोषित स्मार्ट सिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बन गए। इतना ही नहीं उक्त तिकड़ी ने संबंधित बैंक को गुमराह कर स्मार्ट सिटी के 18 करोड़ रुपये अपने हस्ताक्षर से दो बड़े ठेकेदार कंपनी को भुगतान कर दिए। इस संदर्भ में आज शाम महापौर संदीप जोशी और सत्तापक्ष नेता संदीप जाधव जो स्मार्ट सिटी के निदेशक भी हैं, उन्होंने सदर थाने में उक्त तीनों अधिकारियों के खिलाफ पद का दुरुपयोग कर आर्थिक गड़बड़ी करने का मामला दर्ज करवाया। महापौर जोशी के अनुसार वहां उपस्थित पुलिस उपायुक्त विनीता शाहू ने मामला पुलिस आर्थिक अपराध शाखा के सुपुर्द कर जांच करने की जानकारी उन्हें दी।
याद रहे कि स्मार्ट सिटी की बोर्ड की अंतिम बैठक 31 दिसंबर 2019 के पूर्व हुई,इसके बाद 27 जनवरी 2020 को मनपायुक्त मुंढे ने नागपुर मनपा का पदभार स्वीकारा। इसके तुरंत बाद स्मार्ट सिटी के सीईओ रामनाथ सोनवणे ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद आजतक स्मार्ट सिटी के बोर्ड की एक भी नहीं बैठक हुई। बिना बैठक में ठराव लिए न जिम्मेदारी बदल सकती और न ही नियुक्ति और न ही कोई व्यवहार हो या कर सकता। लेकिन मुंढे स्मार्ट सिटी के आला अधिकारी परदेशी के नाम की आड़ लेकर नागपुर स्मार्ट सिटी के सीईओ बन बैठें। जबकि स्मार्ट सिटी के बोर्ड का निदेशक न मौखिक न ही लिखित बन सकता,शिवाय जब तक बोर्ड का ठहराव नहीं हो जाता। कंपनी के सेक्रेटरी ने लिख कर भी दिया कि मुंढे न स्मार्ट सिटी के निदेशक हैं और न ही सीईओ।
जोशी ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र को अंधेरे में रख कर गलत जानकारी देकर आर्थिक व्यवहार किया। जोशी ने यह भी संगीन आरोप लगाया कि मुंढे स्मार्ट सिटी का अस्तित्व समाप्त करने पर तुले हैं, अबतक 13 से 15 अधिकारियों को निकाल दिया।जबकि किसी को नियुक्त करने व हटाने हेतु मानव संसाधन विभाग की कड़क नियमावली हैं। स्मार्ट सिटी के बोर्ड से मंजूर कचरे के लिए ट्रांसफर स्टेशन का 42 करोड़ का टेंडर को रद्द कर 50 करोड़ का बायो माइनिंग का टेंडर जारी किया।
जोशी ने आगे कहा कि मुंढे की मनमानी इस कदर जारी हैं कि इन्होंने वक़्त पर कर्मचारियों के भविष्य निधि का हिस्सा जमा नहीं किया तो जुर्माना भरना पड़ा और तो और कोरोना महामारी हेतु प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री निधि में सहयोग देने के लिए किसी को विश्वास में लिए बिना सभी कर्मियों का 2500-2500 रुपये काट लिए।