जनप्रतिनिधियों के अधिकार छीनने का प्रयास पर वरिष्ठ नगरसेवक दयाशंकर तिवारी ने चेताया तो बौखला कर चलते बने
नागपुर: मनपायुक्त तुकाराम मुंढे ने नागपुर में जब से आए,उन्होंने जनप्रतिनिधियों व मनपा सह पुलिस कर्मियों को नजरअंदाज कर मनमानी जारी रखा।इससे नाराज नगरसेवकों से आज सवाल जवाब किया तो मनपायुक्त जनप्रतिनिधियों के अधिकार का हनन करने की कोशिश की तो वरिष्ठ नगरसेवक दयाशंकर तिवारी और हरीश ग्वालवंशी के हाजिर जवाब से सकपका गए और महापौर संदीप जोशी को सूचित कर बिना किसी अन्य अधिकारी को जिम्मेदारी दिए सभा छोड़ चलते बने। नागपुर मनपा के इतिहास में यह पहली घटना घटित हुई।
कोरोना की आड़ में प्रशासन की हठधर्मिता के बावजूद नगर विकास विभाग के निर्देश पर लगभग 3 माह बाद नागपुर मनपा की आमसभा रेशमबाग स्थित कविवर्य सुरेश भट्ट सभागृह में आयोजित किया गया। तय समय से 2 घंटा बाद दोपहर 1 बजे आमसभा शुरू हुई।
देशव्यापी महामारी कोरोना के कारण बारम्बार प्रशासन द्वारा महापौर सह पदाधिकारी व आम नगरसेवकों की मांग,सुझाव और उनकी सहभागिता को नजरअंदाज किये जाने से अमूमन सभी तप गए थे। आमसभा को लेने हेतु भी प्रशासन ने अंतिम समय तक अड़ंगा लगाए रहे लेकिन उन्हें असफलता मिली।
भट्ट सभागृह विशालकाय होने की वजह से प्रशासन की ओर से उत्तम व्यवस्था की गई थी।सभागृह परिसर के इर्द- गिर्द तगड़ा पुलिस बंदोबस्त किया गया था। कामकाज शुरू होने के पूर्व परिसर के बाहर कांग्रेस के नगरसेवक कमलेश चौधरी ने मनपायुक्त मुंढे के समर्थन में तो स्टार बस के कर्मियों ने पिछले 3 माह में वेतन न दिए जाने के खिलाफ में नारेबाजी की।
आज के कामकाज शुरू होते ही प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नगरसेवक हरीश ग्वालवंशी ने प्रशासन से सवाल किया कि केटी नगर स्थित एक इमारत जिसे व्यवसायिक मंजूरी होने के बावजूद कोरोना की आड़ में नियमों की धज्जियां उड़ा कर अस्पताल निर्माण की जा रही। इसी सवाल से जुड़ी अन्य सवाल भाजपा के वरिष्ठ नगरसेवक दयाशंकर तिवारी,प्रवीण दटके ने सवाल दागा तो प्रशासन के पास जवाब नहीं होने से आयुक्त मुंढे गोलमोल जवाब देने की कोशिश कर रहे थे तो नियम के तहत उप प्रश्न तिवारी ने किया तो आयुक्त मुंढे ने अपना आपा खो दिया और तिवारी से कहा कि पहले मुझे मेरा पक्ष रखने दे,इस बात पर नियमानुसार तिवारी राजी नहीं हुए,उन्होंने अपने हक्क के लिए अड़े रहे तो मनपायुक्त मुंढे ने महापौर संदीप जोशी से कहा कि ऐसा चलेंगा तो मैं सभागृह से चला जाऊंगा। महापौर जोशी ने इसे सार्वजनिक किया और उन्हें स्वतंत्रता दी,खुद के संदर्भ में निर्णय लेने के लिए।
कुछ देर बाद तिवारी और ग्वालवंशी ने उपप्रश्न के तहत अनगिनत सवाल दागने के साथ उनके गैरकृतो को सार्वजनिक किया। ग्वालवंशी ने कहा कि सभागृह छोड़ने की जगह शहर छोड़ चले जाओ,शहर का बहुत नुकसान किये,हुक़ूमशाही कर रहे,लोकतंत्र को खत्म करने की कोशिश कर रहे। तिवारी और दटके ने कहा मुख्यमंत्री से कह कर नागपुर छोड़ दो। शहर के प्रथम नागरिक जो हमेशा संयम रख समन्वय की कोशिश करते रहे,उन्हें भी नजरअंदाज करते रहे।
इसी बीच बिना किसी अन्य जिम्मेदार अधिकारी को जवाबदेह दिए बिना आयुक्त मुंढे सभागृह से चलते बने। यह महाराष्ट्र के इतिहास में पहली घटना दर्ज की गई।
इस घटना के तुरंत बाद दटके और कांग्रेस नगरसेवक प्रफुल गुरधे पाटिल ने महापौर जोशी से आयुक्त मुंढे को मनपा का नियम समझा कर पुनः सभागृह में बुलाने की मांग की। महापौर जोशी ने ग्वालवंशी के प्रश्न का जवाब पूर्ण होने के बाद 10 मिनट के लिए कामकाज स्थगित कर दिया। इसी बीच आयुक्त के पीछे पीछे कुछ नगरसेवक भी चलते बने।
लगभग 2.45 बजे पुनः कामकाज शुरू हुई,महापौर जोशी ने केटी नगर मामले में एक जांच समिति नियुक्त की और 24 जून को जांच रिपोर्ट सभागृह के पटल पर रखने का निर्देश दिया,इस दौरान सभी शिकायतकर्ताओं को विश्वास में लेने का निर्देश दिया।
इसके बाद मनपायुक्त द्वारा किये गए सभा त्याग पर सभागृह के निर्देश पर मनपा के अतिरिक्त आयुक्त राम जोशी और महापौर संदीप जोशी ने मनपायुक्त मुंढे से चर्चा की। लेकिन वे उनके गुजारिश को नहीं माने ,उन्होंने कहा कि मेरा सभागृह में अपमान हुआ, इसलिए नहीं आऊंगा। इसके बावजूद महापौर जोशी ने पुनः मनपायुक्त से सभागृह में आने का गुजारिश की। अतिरिक्त आयुक्त राम जोशी को सभागृह ने निर्देश दिया कि वे मनपायुक्त से चर्चा कर सभागृह में आने के लिए मनाए।
इसके बाद महापौर जोशी के निर्देश पर निगम सचिव रंजना लाडे ने मंगला गवरे और नितिन साठवाणे व संजय महाकालकर के स्थगन प्रस्ताव का वाचन किया जिसमें से महाकालकर के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। इसके बाद आज की सभा मंगलवार 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।