नागपुर: कभी मध्य नागपुर की शान हुआ करती थी लेंडी तालाब. दिनों-दिन सिकुड़ता गया, आज इस तालाब तक पहुंचने के सीधा-सुलभ मार्ग भी नहीं है. जिला प्रशासन के अधिनस्त इस तालाब का तीन हिस्सा अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है. जब स्थानीय जागरुक नागरिकों ने मुख्यमंत्री के समक्ष विगत दिनों लेंडी तालाब को पुनर्जीवित करने की मांग उठाई तो मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिलाधिकारी कार्यालय सक्रिय हुआ और मूल तालाब की जमीनें गिनने का काम शुरू हुआ. संभवतः इसके बाद किसी ने प्रशासन के हाथ नहीं बांधे तो अतिक्रमण उन्मूलन की कार्रवाई तक हो सकती है.
वर्तमान में जिला प्रशासन के अधिनस्त मूल लेंडी तालाब 28 एकड़ का था. इस तालाब के बीच से आर-पार आवाजाही का मार्ग था जो आज पक्की सड़क का रूप ले चुकी हैं. एक-डेढ़ दशक से इस तालाब को बुझा-बुझा कर समतल किया जाता रहा. इस समतल जगह लगभग २४ एकड़ तालाब की जमीन पर हज़ारों पक्के के साथ तालाब के निकट कच्चे घरों का निर्माण हो चुका है. तालाब के इर्द-गिर्द पक्के घरों के पिछवाड़े और टिन के कच्चे घर हैं. शेष तालाब 4 से 5 एकड़ का रह गया है, जिस तक पहुंचने के लिए सुलभ मार्ग तक नहीं है.
इस तालाब को बचाने के लिए वर्षों से शहर के जागरूक नागरिक संघर्षरत हैं. इस क्रम में विगत सप्ताह मुख्यमंत्री ने मनपा के अटके २२ मामलों को निपटाने के लिए मनपा अधिकारियों के साथ सर्वपक्षीय नेताओं की अहम बैठक ली थी. इस बैठक में जिलाधिकारी भी उपस्थित थे, उनकी उपस्थिति में मनपा सत्ताधारियों ने उक्त मांग दोहराई. मांग की गंभीरता को देख मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी को लेंडी तालाब पुनर्जीवित करने के लिए गंभीर पहल का आदेश दिया. मुख्यमंत्री के आदेश के बाद जिला प्रशासन फुर्ती दिखाते हुए सर्वप्रथम लेंडी तालाब की मूल जमीन की गणना शुरू करने सम्बन्धी स्थानीय रहवासियों को नोटिस दी. इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद जिला प्रशासन पर किसी का दबाव नहीं आया तो लेंडी तालाब की जगह पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ अतिक्रमण उन्मूलन की कार्रवाई शुरू हो सकती है.
उल्लेखनीय यह है कि जिला प्रशासन के हरकत में आते ही उनके इरादे को भांप स्थानीय नागरिक के उनके नेतृत्वकर्ता सकपका गए. उन्होंने अभी से मांग शुरू कर दी है कि नाईक तालाब के अतिक्रमणकारियों को हटाने के एवज में उन 72 अतिक्रमणकारियों को वंजारा स्थित एसआरए के स्कीम में घर देने का निर्णय लिया गया.इस क्रम में 33 लोगों के प्रस्तुत कागजाते सही होने पर उन्हें शीघ्र ही घर आवंटन किया जाएगा. इसी तर्ज पर वर्ष 2009 के पूर्व के अतिक्रमणकारियों को समाहित किया जाए. दूसरी ओर यह भी शंका जाहिर की गई कि आगामी चुनावों के मद्देनज़र वोट बैंक पर मजबूत पकड़ के लिए यह हत्कण्डा अपनाया जा रहा है. टेंशन देकर बाद में राहत के बदले में वोट की अप्रत्यक्ष मांग हो सकती है.