नागपुर : एक तरफ जंहा नरेंद्र मोदी सरकार अपनी तीन साल की उपलब्धियां गिनाने में व्यस्त है, तो दूसरी तरफ नागपुर शहर भाजपा अध्यक्ष तथा दक्षिण नागपुर से विधायक सुधाकर कोहले विवादों में घिरे नजर आ रहे हैं. वह भी एक नहीं बल्कि दो कारणों क लिए, एक तो उनका कथित जमीन हड़पने के मामले में लिप्त होना और दूसरा पुलिस कारवाई से बचने के लिए अपनी राजकीय ताकत का गलत इस्तेमाल करना. केंद्र में मोदी सरकार इस बात को बहुत तवज्जो दे रही है की वो मतदाताओं से किये वादे तथा उनके अपेक्षाओं पर खरे उतरे हैं. जिन्होंने उन्हें विकास, भ्र्ष्टाचारमुक्त शासन, तथा अपने शब्दों के कार्यान्वयन और अति सामान्य मानवी की अपेक्षाओं की पूर्ति के लिए चुना था. लेकिन ये सब नागपुर भाजपा के दायरे में होता नहीं दिखाई दे रहा हैं.
एक जमीन हड़पने के मामले में सामाजिक संस्था जनाक्रोश ने हुडकेश्वर पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं की वो इस मामले में लिप्त कोहले को बचा रही है. उल्लेखनीय है की, उक्त विषय में उच्च न्यायालय ने एफ़.आय.आर में नामित तीन आरोपियों को अंतरिम राहत दी है, जबकि एक अभी भी बड़ा है. कोहले तथा पुलिस ने अपने ऊपर के सभी आरोपों को अलग से ख़ारिज किया है.
कोहले द्वारा अपने राजकीय ताकत का प्रयोग
जनाक्रोश के प्रतिनिधियों के अनुसार अशोक जैन से एक भूखंड (नंबर २०१ E ) खरीदने के बहाने से देवनगर सहकारी संस्था के १००० स्क्वेयर फ़ीट भूखंड को हड़पने के लिए कोहले ने अपनी राजकीय पहुँच का गलत इस्तेमाल किया है. इस मामले में अशोक जैन को भी अब आरोपी बनाया गया है. २२०० स्क्वेयर फ़ीट का ये भूखंड कोहले ने सन २०११ में १.११ लाख रूपये में ख़रीदा था. जबकि यही भूखंड अशोक जैन ने सन १९८८ में सहकारी गृहनिर्माण संस्था के सचिव धर्मेंद्र जैन से ख़रीदा था.
कोहले ने जमीन पर किया कब्जा, जनाक्रोश का आरोप
वो १००० स्क्वेयर फ़ीट का सटा हुआ जमीं का टुकड़ा था जिसे कोहले ने हथिया लिया. जनाक्रोश के मुताबिक २०११ में एक संदिग्ध सुधार विलेख तैयार करके आगामी बिक्री-अनुबंध के लिए रजिस्ट्रार के सामने कोहले ने अपने चचेरे भाई पंढरी कडु को धर्मेंद्र जैन बताकर पेश किया. गवाह के रूप में अशोक के बेटे सचिन और उनके एक कर्मचारी मनोज राउत वहां उपस्थित थे. इसी सुधार कार्य के बाद जनाक्रोश ने दावा किया की कोहले ने अपने तथा अपनी पत्नी वैशाली के नाम से विक्रय विलेख तैयार करवाया है.
इस केस की सुनवाई अब ग्रीष्म-अवकाश (छुट्टियों) के बाद
इस केस की सुनवाई अब ग्रीष्मावकाश के बाद ही होगी. जनाक्रोश के वकील तरुण परमार द्वारा मजिस्ट्रेट कोर्ट में दाखिल सी.आर.पी.सी. सेक्शन १५६(३) के तहत अशोक के साथ ही कडु, सचिन और राउत पर हुडकेश्वर पुलिसथाने में धोखाधड़ी तथा आपराधिक साजिश के मामले दर्ज किये गए हैं. सत्र न्यायालय द्वारा अग्रिम जमानत गैरमंजूर किये जाने पर पिता-पुत्र की जोड़ी तथा कडु ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. लेकिन गर्मी की छुट्टियों के बाद ही अदालत इस मामले पर सुनवाई करेगी.
ताकत का गैर-इस्तेमाल
सामाजिक संस्था के सचिव तथा क़ानूनी सलाहकार ऍड. तरुण परमार ने बताया की, २०११ में कोहले ने भ्रामक सुधारणा करते हुए ये जताया की जो प्लॉट उसने ख़रीदा है वो बिक्री-अनुबंध पत्र में गलती से ३२०० स्क्वेयर फ़ीट;जैसा की उसे चाहिए था, के बजाय २२०० स्क्वेयर फ़ीट दर्ज हो गया. कोहले ने नागपुर सुधार प्रन्यास में विश्वस्त के रूप में भी अपनी ताकत और पहुँच का गलत करके इस्तेमाल करते हुए खुद के पक्ष में इस प्लॉट के लिए नियमन पत्र जारी किया. पुलिस भी नियमों के तहत काम न करते हुए कोहले को सह-आरोपी बनाने से बचा रही है.
जनाक्रोश के एक और कार्यकर्ता मोरेश्वर घाडगे ने बताया की, अपनी पत्नी के नाम विक्रय विलेख की औपचारिकता पूरी करने हेतु कोहले ने फर्जी टैक्स रसीद (जो की गणेश नगर, नंदनवन की है) का इस्तेमाल भी किया. कोहले ने अपने शपथ-पत्र में चुनाव आयोग को भी गलत जानकारी दी है. जिसे हमने पहले ही हमारी शिकायतों के द्वारा राज्य तथा राष्ट्रिय स्तर पे उजागर किया है.
कोहले ने बताया खुद को निर्दोष
कोहले ने बताया की उसे जबरदस्ती इस विवाद में घसीटा जा रहा है, जबकि वह खुद इस मामले का शिकार है ना की अपराधी। भाजपा विधायक ने आगे कहा की, मैं इन कार्यकर्ताओं के खिलाफ मानहानि का दावा दाखिल करने वाला हूँ. घाडगे मेरा राजकीय स्पर्धक है जो की मेरी छवि धूमिल करने की कोशिश कर रहा है.
हुडकेश्वर पुलिस थाने के वरिष्ठ पी.आय. सुनील झावरे ने बताया की, कारवाई करने के लिए हमारे पास प्राथमिक तौर पर कोहले के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है.
(इनपुट टाइम्स ऑफ़ इंडिया )