नागपुर: कन्फ़ेडरेशन आफ ऑल इंडिया ट्रेडर्ज़ (कैट) वॉल्मार्ट फ्लिपकार्ट डील को चुनौती देगा क्योंकि इस डील में क़ानूनी रास्तों को तोड़ा मरोड़ा गया है और डील के अस्तित्व में आते ही एफडीआइ पॉलिसी का उल्लंघन होगा वहीं एक असंतुलित प्रतिस्पर्धा का वातावरण बनेगा । वास्तव में इस डील के माध्यम से वॉल्मार्ट रीटेल ट्रेड पर क़ब्ज़ा करने के अपने छुपे अजेंडा को पूरा करेगा ।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा की यह एक सच्चाई है की वॉल्मार्ट कोई ई कामर्स कम्पनी नहीं है और इस क्षेत्र में उसकी कोई विशेषता नहीं है फिर भी वॉल्मार्ट ने अपने असीमित संसाधनों के बल पर फ्लिपकार्ट से यह डील की है जिसके ज़रिए वो रीटेल बाज़ार में विदेशी उत्पादों जा विशाल जाल बिछाएगा । सरकार को इस डील के सभी पहलुओं का बारीकी से अद्धयंन करना चाहिए । ये कोई दो कम्पनियों के बीच कर डील नहीं है बल्कि इसका सीधा प्रभाव भारत के रीटेल बाज़ार और अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा ।
दोनों व्यापारी नेताओं ने बताया की उनके वकीलों की टीम डील को समझ रही है और जल्द ही डील को चुनौती देने की ज़रूरी कार्यवाही की जाएगी । इस प्रकार की डील के लिए एक पॉलिसी बनाना बहुत ज़रूरी है नहीं तो पैसों की आड़ में इस तरह की अन्य डील भी होंगी और यह एक प्रथा बन जाएगी और धीरे धीरे रीटेल बाज़ार पर विदेशी कम्पनियों का क़ब्ज़ा होने में देर नहीं लगेगी और रीटेल बाज़ार में लागत से भी कम मूल्य पर सामान बेचना. घाटे की पूर्ति करना जैसे वातावरण की भरमार होगी ।
खंडेलवाल ने कहा की इस डील के साथ अनेक महत्वपूर्ण विषय जुड़े हैं जिनमें ख़ास तौर पर एफडीआइ पॉलिसी, डाँटा सुरक्षा, प्रतिस्पर्धा , अनुचित बिक्री आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा की जो पोर्टल का स्वामी होता है डाँटा और डिजिटल दक्षता पर उसका नियंत्रण रहता है । इस दृष्टि से इस मामले में सारा डाँटा वॉल्मार्ट के नियंत्रण में रहेगा जिसका दुरुपयोग भी हो सकता है । पोर्टल का स्वामी अपनी शर्तें किसी पर भी थोप सकता है । सरकार को विदेशी कम्पनी के स्वामित्व वाली कम्पनी पर नज़र रखना ख़ास तौर पर ई कामर्स जिसमें कोई सीमा नहीं है, मुश्किल होगा । इस मामले में ख़रीद से लेकर बिक्री तक सब वॉल्मार्ट के नियंत्रण में होगी जिससे उसे मनमानी करने और क़ानूनी प्रक्रिया को धता बताने में देर नहीं लगेगी ।
खंडेलवाल ने सरकार से माँग की है की ई कामर्स के लिए तुरंत एक पॉलिसी बनाई जाए और ई कामर्स के लिए एक रेग्युलटॉरी अथॉरिटी का गठन किया जाए और जब तक ऐसा न हो तब तक इस डील पर रोक लगाई जाए !