Published On : Tue, May 15th, 2018

विश्व परिवार दिवस पर विशेष : परिवार नियोजन योजनाओंं में पिछड़ा नागपुर

Nagpur gone back in family planning schemes gets 4507 of target

Representational Pic

नागपुर: परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत वैसे तो विविध प्रकार की योजनाएं चलाई जाती हैं। इनमें से नसबंदी योजना को अहम माना जाना है। जनसंख्या पर नियंत्रण रखने एवं छोटे परिवार की संकल्पना को साकार करने के लिए सरकार की ओर से जिला परिषद प्रशासन को अप्रैल-2017 से मार्च-2018 तक 12102 व्यक्तियों पर नसंबदी कराने का लक्ष्य मिला था, परंतु संबंधित स्वास्थ्य विभाग ने इस योजना में अधिक दिलचस्पी नहीं दिखाई। नतीजा यह हुआ कि मार्च-2018 के अंत तक जिले में लक्ष्य की तुलना में केवल 45.07 प्रतिशत ही सफलता मिल पाई है। मसलन 12102 लक्ष्य में से महज 5454 प्रकरणों में ही लोगों को परिवार नियोजन से जोड़ा गया है। प्रशासन की इस विफलता को लेकर संबंधित विभाग की कार्यप्रणाली पर अनेक सवाल उठने लगे हैं।

नहीं दिया जा रहा ध्यान
जिला स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, परिवार कल्याण शल्यक्रिया के लिए सरकार ने जहां 12102 का लक्ष्य दिया तो 5454 लोगों ने ही इसे प्रतिसाद दिया, जबकि दो बच्चों पर की जाने वाली शल्यक्रिया के लिए सरकार ने अलग से स्वास्थ्य विभाग के लिए 7866 का लक्ष्य दिया था। विभाग इस मुहिम में भी कामयाब नहीं हो पाया। 7866 में से केवल 4316 व्यक्तियों पर ही शल्यक्रिया की जा सकी। यदि निधि के मायने से देखा जाए तो सरकार ने परिवार नियोजन के लिए कुल 72 लाख 43 हजार रुपए उपलब्ध कराए, जिसमें से 57 लाख 49 हजार रुपए ही बीते वर्ष खर्च किए जा सके हैं।

मतलब खर्च के मामले में भी विभाग 80 प्रतिशत तक सफल नहीं हो पाया है। वर्ष 2016-17 की अंतिम रिपोर्ट बताती है कि नसबंदी कराने में महिलाएं निडर दिखीं। 5129 पुरुषों ने जहां विविध अस्पतालों में नसबंदी कराई थी, वहीं इन पुरुषों के मुकाबले में 235678 महिलाओं ने परिवार नियोजन शल्यक्रिया कराकर परिवार नियोजन की पहल में अपना योगदान दिया था।

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अभाव में जी रहा 3.89 लाख परिवार
जिले की कुल जनसंख्या 4653570 हैं। इनमें से 2268595 महिलाएं हैं। कुल 1041544 परिवार जिले में निवास करते हैं। औसतन 12.9 प्रतिशत परिवारों की कमान माताओं के हाथों में हैं। आपूर्ति विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, जिले में 104585 परिवार ऐसे हैं जो गरीबी रेखा से काफी नीचे हैं। इन्हें अंत्योदय की सूची में शामिल कर इन्हें सस्ते दामों पर सरकारी अनाज दिया जाता है। इसके अलावा 284448 परिवार भी गरीबी रेखा की सूची में ही शामिल हैं। इन्हें बीपीएल माना गया है। इनके लिए भी सरकार की अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं। बरसों से परिवार कल्याण की योजनाओं पर करोड़ों रुपए फूंक दिए गए हैं। मौजूदा हालात देखकर नतीजे सिफर लगते हैं।

स्वास्थ्य का बजट खर्च करने में नाकाम
नागपुर जिला परिषद को सरकार की ओर से पुनरुत्पादन व बाल स्वास्थ्य के लिए 7.84 करोड़ रुपए मंजूर हुए थे, जिसमें से 3.10 करोड़ रुपए सरकार ने दिए। बीते वर्ष की शेष राशि जोड़कर कुल 18 करोड़ 52 लाख 53 हजार रुपए उपलब्ध हुए थे। इसमें से केवल 6.58 करोड़ रुपए की राशि अर्थात 35.55 प्रतिशत ही खर्च की जा सकी। इसके चलते सरकार की परिवार कल्याण की योजनाएं व क्रियान्वयन केवल दिखावा बनकर रह गई है।

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