गाडगे के सेवानिवृति बाद आज तक नहीं मिला पूर्णकालीन लेखा व वित्त अधिकारी
नागपुर: जिस शहर से मुख्यमंत्री ताल्लुक रखते हैं, उस शहर अर्थात नागपुर महानगरपालिका में पूर्णकालीन लेखा व वित्त अधिकारी वर्षो से नहीं हैं। गत सप्ताह प्रभारी संभाल रहे अधिकारी का पदोन्नत सह तबादला होने से मनपा पंगु हो गई। समाचार लिखे जाने तक मनपा आयुक्त ने किसी अन्य अधिकारी को जिम्मेदारी नहीं दी।इससे सम्पूर्ण वित्तीय मामला ठप पड़ गया।
क्योंकि यह पद राज्य सरकार के कोटे से नियुक्त किया जाता इस बिना पर कुछ वर्ष मनपा में पूर्णकालीन वित्त अधिकारी मदन गाडगे तैनात थे। इनके कार्यकाल में काफी आर्थिक संकट नहीं हुई। सभी से व्यवहार होने के कारण इनका कार्यकाल बिना झंझट के निपट गया। इनके कार्यकाल के अंत अंत मे पोल खुली की इन्होंने मनपा को मिले विशेष निधियों का रोजमर्रा की जरूरतों में उपयोग कर दिया था। इस लिए आम संकट से मनपा प्रशासन कभी अड़चन में नहीं आई। जब विशेष प्रकल्पों की निधि की पूछ परख हुई तो गाडगे की पोल खुली। इस कृत से पूर्व आयुक्त झल्ला भी गए थे।
इसके सेवानिवृति बाद तत्कालीन दूसरे आयुक्त ने अपने करीबी विश्वासपात्र उपायुक्त कापड़नीस को प्रभारी लेखा व वित्त अधिकारी नियुक्त कर तत्काल की परिस्थिति संभाला।इनके छुट्टी पर रहने पर अन्य उपायुक्त मोहिते के पास प्रभार/अधिकार रहता था। इनकी पदोन्नति अन्य शहर में होने से रिक्त हुई लेखा व वित्त विभाग का प्रभार नए मनपा आयुक्त बांगर ने इसकी जिम्मेदारी/प्रभार मनपा के अतिरिक्त आयुक्त 2 शेख को दे रखी थी। इनका भी कार्यकाल यादगार रहा,कोई फ़ाइल ज्यादा देर तक उनकी कक्ष में नहीं रुकी।
पिछले शनिवार को इनका भी पोदोन्नत सह तबादला धुले होने का आदेश आते ही उन्होंने तत्काल मनपा आयुक्त बांगर से अनुमति लेकर धुले के लिए रवाना हो गए। आज दूसरा दिन आधा गुजर चुका,लेखा व वित्त विभाग प्रमुख पद का प्रभार किसी को नहीं दिया गया। संभवतः प्रशासन पशोपेश में हो कि किसे प्रभार दे,जबकि अधिकांश अधिकारियों के पास 2-3 विभागों की पहले जिम्मेदारियां हैं।
उल्लेखनीय यह भी हैं कि मुख्यमंत्री के शहर की मनपा के लिए पूर्णकालीन लेखा व वित्त अधिकारी सह अन्य महत्वपूर्ण अधिकारी का नहीं मिलना आश्चर्य हैं।