Published On : Mon, May 14th, 2018

कारखाना विभाग घोटाला : मुख्य आरोपी को दोहरा तोहफा

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NMC, gathering dust in workshop (2)
नागपुर: कांग्रेस के वरिष्ठ नगरसेवक संदीप सहारे ने गत माह काफी तर्क देते हुए मनपा के कारखाना विभाग में घोटाले का मामला आमसभा में उठाया था. कुछ दिनों बाद सत्तापक्ष ने भी मामले पर सहमति प्रदान कर विभाग के प्रभारी के साथ शेष ४ अधिकारी-कर्मी को निलंबित कर दिया था. लेकिन विगत अप्रैल माह के अंत में मुख्य आरोपी को पुनः न सिर्फ सेवा में लिया बल्कि उसके आका ने अपनी रुचि के विभागों का सर्वेसर्वा बनाकर अपनी शक्ति का परिचय दिया था.

ज्ञात हो कि कारखाना विभाग शुरुआत से ही विवादों में रहा है. आज ख़त्म हो गया ऐसा नहीं, बल्कि पहले के बनस्पत आज ज्यादा गैरकानूनी कामों को अंजाम दिया जा रहा है.

सहारे द्वारा कारखाना विभाग में घोटाले के मुद्दे पर सत्तापक्ष और प्रशासन की सक्रियता और पहल शुरुआत से ही संदेहास्पद रही है.

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सहारे के संगीन आरोप पर बिना जांच किए सत्तापक्ष की शह पर प्रशासन ने मुख्य आरोपी सह ४ अधिकारी-कर्मी को निलंबित कर दिया. तब तक सभी ५ में से ३ अलग-अलग थे. लेकिन जब निलंबित हो गए तो मुख्य आरोपी की पहल पर सभी एकजुट हो गए ताकि सभी का बयान एक जैसा रहे.

पीठ पीछे मुख्य आरोपी ने अन्य चारों को धोखा देते हुए सत्तापक्ष के एक नेता के मार्फ़त मनपा प्रशासन को आपने निर्दोष होने का तर्क यह दिया कि वे सिर्फ प्रभारी थे, शेष उनका कोई लेना देना नहीं. दूसरी ओर जब विदेश दौरा या लाभ की बात होती थी तो वे खुद को विभाग का सर्वेसर्वा सिद्ध करने में एड़ी-चोटी एक कर देते थे. निलंबित होने के बाद भाजपा विधायकों के सिफारिश पत्रों को जोड़-जोड़ प्रशासन से पुनः नियुक्ति हेतु सक्रिय रहे. साथ में सत्तापक्ष के एक प्रभावी नेता ने पुनः नियुक्ति करवाने में अहम भूमिका निभाई.

इसी प्रभावी नेता के मनपसंद विभाग विज्ञापन और बाजार विभाग का उक्त मुख्य आरोपी को जिम्मेदारी दे दिया जाना सर्वत्र आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है. शेष चारों आरोपी आज भी दर-दर भटक रहे हैं.

उल्लेखनीय यह है कि मनपा के ज़ोन कार्यालय के प्रमुख पद हेतु वार्ड अधिकारियों की नियुक्तियां की गई थीं, इनमें से एक सालों पूर्व नौकरी छोड़ मुंबई चली गई. शेष वार्ड अधिकारियों की आपसी मजबूत पकड़ के कारण ज़ोन से मुख्यालय में प्रमुख विभागों के मुखिया बन गए.

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