Published On : Sat, Feb 29th, 2020

नागपुर साहित्य सृजन का हृदय स्थल बने

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नागपुर साहित्य सृजन का हृदय स्थल बने.साहित्य समाज का दर्पण है और हमें इतिहास के बजाय साहित्य से ही उस समय ,काल और दौर का पता चल जाना चाहिए जैसा प्रेमचन्द की रचनाओं से पता चलता है .आज की अभिव्यक्ति बेबाक हो तभी सार्थक है .उपरोक्त विचार वरिष्ठ पत्रकार
श्री एस .एन . विनोद जी ने सृजन बिंब प्रकाशन के वार्षिकांक उजास 2020 के लोकार्पण के अवसर पर कार्यक्रम अध्यक्ष के रूप में व्यक्त किये .

मुख्य अतिथि डी . सी .पी श्री विक्रम साउली ने कहा कि आज के माहौल में गांधी चिंतन से जुड़ाव ज़रूरी है . विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ उद्घोषक श्री किशन शर्मा ने गांधी जी के अनमोल 250 ख़तों का खजाना अपने पास होने की बात बताई और अंक की सराहना की.विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ .सागर खादीवाला जी ने गांधी चिंतन की प्रासंगिकता पर बल देते हुए विशेषांक की सार्थकता पर बल दिया.

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उल्लेखनीय है कि गांधी चिंतन पर सृजन बिंब प्रकाशन का यह विशेषांक केन्द्रित है जिसका लोकार्पण आज विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन के उत्कर्ष सभागृह में हुआ . कार्यक्रम का शुभारम्भ मीरा जोगलेकर के गाये वैष्णव जण तो तेने कहिए से हुआ .सम्पादक राजेश नामदेव ने पुस्तक की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला . प्रधान सम्पादक रीमा दीवान चड्ढा ने आज के दौर में ऐसे प्रकाशन में आई परेशानियों का जिक्र किया और विशेषांक पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इसमें राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर रचनाकार सम्मिलित हैं .इस अंक के संपादक मंडल में पीयूष कुमार ,डाॅ मोनिका जैन ,वंदना दवे,ख़ुदेजा खान और नीरज ओम प्रकाश श्रीवास्तव सम्मिलित हैं .मुखपृष्ठ पर नागपुर के विख्यात मूर्तिकार श्री हीरा विकमशी जी द्वारा बनाई गई गांधी प्रतिमा को लिया गया है .

कार्यक्रम का संचालन सुरभि सिंह ने किया . इस अवसर पर ऑपरेटर नरेन्द्र धार्मिक का भी सत्कार
किया गया. आभार प्रदर्शन नीरज श्रीवास्तव ने किया. कार्यक्रम में रेशम मदान और मीता खुराना का सहयोग रहा . कार्यक्रम में पूर्णिमा पाटिल ,
ऐषा चटर्जी ,डा कृष्णा श्रीवास्तव ,इंदिरा किसलय ,प्रभा मेहता ,डाॅ रमेश गांधी ,अर्चना राज ,मनोज मडावी,शगुफ्ता क़ाज़ी,सुधा राठौर , शशि भार्गव ,शीला भार्गव ,उषा रतिनाथ मिश्रा ,निर्मला पांडेय ,संदीप अग्रवाल, प्रभा ललित सिंह ,धृति बेडेकर,शमशाद शाद ,विजय पांडे ,चित्रा अवस्थी, रंजना श्रीवास्तव, आदिला खादीवाला ,रमा प्रवीर वर्मा ,सुजाता दुबे ,सुमन अनेजा ,मौली कार ,अंजुलिका चावला,संतोष बुद्धराजा ,माधुरी राऊलकर ,रविन्द्र देवघरे ,निरंकुश खुबालकर ,श्रीमती बीथि पालित ,कविता कौशिक आदि साहित्यकार बड़ी संख्या में उपस्थित थे .

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